पति और सास के उत्साह बढ़ाने के बाद 28 वर्षीय मधु ने अपने खेल का दामन दोबारा थामा। आठ साल की उम्र से टीटी खेल रही मधु के लिए यह दूसरी पारी जैसा था। 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने रजत पदक हासिल किया था। इसके बाद मधुरिका पाटकर का नेशनल चैंपियन बनने का ख्वाब अब जाकर पूरा हो सका। मधु के लिए यह जीत खास मायने रखती है। इसके बाद उनका नाम अर्जुन अवॉर्ड के लिए भेजा गया, मगर उन्हें यह पुरुस्कार नहीं मिल सका।
इसकी सबसे बड़ी वजह है कि मधुरिका कभी भी राष्ट्रीय चैंपियन नहीं रहीं। उनका कहना है कि इस जीत के बाद वह पुरस्कार की हकदार हो गई हैं। इसका श्रेय वह अपने पति ओमकार तोरगलकर और अपनी सास को देती हैं। ओमकार खुद एक टीटी खिलाड़ी हैं। इस कारण उन्हें खेल की बारीकियों को समझने और सुधार में काफी मदद मिली।
मधु का कहना है कि वो 17 साल से अपने पति ओमकार को जानती हैं। दो साल पहले ही उन्होंने शादी की थी। मधु का कहना है कि उनकी सास ने उन्हें काफी सपोर्ट किया है। सास ने हमेशा उन्हें एक खिलाड़ी की तरह ट्रीट किया है और उन्होंने उनकी जरूरतों को समझा है। इससे उनका काम आसान हो गया।