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मोहम्मद अली: रंगभेद से खफा होकर, नदी में फेंक दिया था ओलंपिक स्वर्ण पदक

locationनई दिल्लीPublished: Jan 17, 2021 10:03:21 am

Submitted by:

Mahendra Yadav

यादों में… रिंग के बेताज बादशाह: तीन बार बने हैवीवेट चैंपियन
जन्म: 17 जनवरी 1942 निधन: 3 जून 2016
61 फाइट लड़ी अपने करियर में, जिनमें से 56 में जीत दर्ज कीका स्वर्णिम करियर
37 फाइट में नॉकआउट किया प्रतिद्वंद्वी को अली नेमुक्केबाज का स्वर्णिम करियर

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मोहम्मद अली एक ऐसा मुक्केबाज जिसे दुनिया में शायद ही कोई नहीं जानता हो, जिन्हें खेल के इतिहास का सबसे बड़ा हैवीवेट मुक्केबाज कहा जाता है। वे तीन बार हैवीवेट चैंपियन रहे। उन्हें फुटवर्क और जोरदार पंच लगाने के लिए जाना जाता था। उनका जन्म 17 जनवरी 1942 को और निधन 3 जून 2016 को हुआ। उन्होंने 1964, 1974 और 1978 में हैवीवेट चैंपियनशिप में का खिताब अपने नाम किया। वे तीन बार लेनियल चैंपियनशिप जीतने वाले इकलौते हैवीवेट चैंपियन रहे।
1975 में उन्होंने अपनी आत्मकथा में दावा किया कि रोम ओलंपिक से लौटने के कुछ समय बाद ही उन्होंने अपना स्वर्ण पदक ओहियो नदी में फेंक दिया। अली ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें एक ऐसे रेस्तरां में नहीं जाने दिया गया था जो गोरे लोगों के लिए ही बना था। 6 फीट & इंच लंबे अली ने करियर में 61 फाइट लड़ीं और 56 में जीती। उन्हें सिर्फ पांच बार हार का सामना करना पड़ा।
कैसियस क्ले से बने मोहम्मद अली
अली ईसाई थे और उनका नाम कैसियस क्ले था। मोहम्मद अली ने इस्लाम अपनाने की वजह पूछने पर अपनी पत्नी को एक पत्र लिखकर इसका खुलासा किया था कि अखबार में छपे एक कार्टून ने उनका ध्यान अपनी ओर खींचा था।
साइकिल चोरी और बॉक्सिंग का जुनून
जब अली 12 साल के थे तब पिता की तोहफे में दी साइकिल चोरी हो गई। पुलिस अफसर मार्टिन के कहने पर अली ने बॉक्सिंग सीखने की ठानी। मार्टिन की देखरेख में अली ने अगले 6 सप्ताह में मुक्केबाजी सीख ली।
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