नेशनल रिकॉर्ड रखने वाले शंकर ने 2 . 22 मीटर की कूद लगाकर कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए हाई जंप में पहला मेडल जीता। लेकिन शंकर का कॉमनवेल्थ गेम्स तक का सफर आसान नहीं था। उनका एथलेटिक्स टीम में उनका चयन आखिरी समय में हुआ था। उनके चयन को लेकर काफी विवाद हुआ था। शंकर सिर्फ अपने इवैंट से मात्र तीन दिन पहले बर्मिंघम पहुंचे थे।
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दरअसल कॉमनवेल्थ गेम्स के लिये एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFI) द्वारा चुनी गयी भारतीय एथलेटिक्स टीम में तेजस्विन को सिर्फ इसलिए नहीं चुना गया था क्योंकि उन्होंने अमेरिका में प्रैक्टिस करने की वजह से इंटर स्टेट कंपटीशन में भाग नहीं लिया था।
तेजस्विन से एएफ़आई एक सेलेक्टर नाराज़ थे और उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स में नहीं भेजना चाहते थे। ऐसे में भारतीय एथलीट ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरबाजा खटखटाया। इसके बाद फेडरेशन और तेजस्विन के बीच यह लड़ाई एक महीने तक चली। जिसके बाद कोर्ट ने तेजस्विन के पक्ष में फैसला सुनाया और उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने की मंजूरी दी। जिसके बाद वे इवैंट से 3 दिन पहले बर्मिंघम पहुंचे और उसके बाद जो हुआ वह जग जाहीर है।
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तेजस्विन ने 2.22 मीटर की छलांग लगाकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। इस इवैंट में न्यूजीलैंड के हामिश केर ने 2.25 मीटर के जंप के साथ गोल्ड मेडल जीता। वहीं ऑस्ट्रेलिया के ब्रैंडन स्टार्क ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया। तेजस्विन की यह बेस्ट जंप नहीं थी। उनकी इस सीजन की बेस्ट जंप 2.27 मीटर है। वहीं पर्सनल बेस्ट 2.29 मीटर है।