scriptथॉमस कप की ऐतिहासिक जीत के बाद बदल गया मेरे खेल का स्तर: प्रियांशु | Patrika News

थॉमस कप की ऐतिहासिक जीत के बाद बदल गया मेरे खेल का स्तर: प्रियांशु

locationनई दिल्लीPublished: Apr 13, 2023 07:57:54 pm

Submitted by:

Mridula Sharma

युवा सितारा: केंतो निशिमोतो जैसे शीर्ष खिलाडिय़ों को हरा कर 21 साल के राजावत ने हाल में जीता है ओर्लियंस मास्टर्स बैडमिंटन टूर्नामेंट

थॉमस कप की ऐतिहासिक जीत के बाद बदल गया मेरे खेल का स्तर: प्रियांशु

थॉमस कप की ऐतिहासिक जीत के बाद बदल गया मेरे खेल का स्तर: प्रियांशु

जयपुर. फ्रांस में हाल में संपन्न ओर्लियंस मास्टर्स बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब जीत कर लौटे युवा भारतीय शटलर प्रियांशु राजावत अपनी इस जीत का श्रेय दिग्गज पुलेला गोपीचंद को देते हैं। प्रियांशु ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कहा कि मैं आज इस मुकाम पर सिर्फ गोपी सर की वजह से ही पहुंचा हूं। 73 साल बाद ऐतिहासिक थॉमस कप जीत में भारतीय बैडमिंटन टीम के सदस्य रहे प्रियांशु ने कहा कि उस जीत ने भारतीय बैडमिंटन में नई जान फूंक दी थी। थॉमस कप की ऐतिहासिक जीत के बाद मेरे खेल का स्तर काफी ऊंचा हुआ है, उसी की बदौलत मैं ओर्लियंस में निडर होकर खेल सका।

कितना भी बड़ा खिलाड़ी हो अपना बेस्ट देना चाहिए
थॉसम कप मेरे करियर का सबसे बड़ा टूर्नामेंट था, मुझे वहां काफी सीखने को मिला। उस दौरान मुझे सीनियर्स का साथ मिला, जो काफी अनुभवी थे। उसके बाद से लगातार मैं किदांबी श्रीकांत और एचएस प्रणय जैसे सीनियर्स के साथ अभ्यास करता हूं, इससे मुझे दबाव से निपटने में मदद मिलती है। उनसे ही मैंने सीखा है कि खिलाड़ी चाहे कितना ही बड़ा क्यों ना हो आप बस अपना 100 फीसदी दो ताकि दबाव आप पर हावी ना हो।
केंटो निशिमोतो को हराना बड़ी उपलब्धि
ओर्लियंस मास्टर्स के अंतिम 16 दौर में प्रियांशु ने जापान के केंटो निशिमोतो को हरा कर सनसनी फैला दी थी। प्रियांशु ने उस मैच को लेकर कहा कि मेरे कोच गोपी सर के सपोर्ट और सीनियर्स के साथ किए गए अभ्यास से मुझे काफी मद द मिली। मैंने एक बार भी नहीं सोचा कि मैं किसके खिलाफ खेल रहा हूं, बस अपना स्वभाविक खेल दिखाया।
6 साल की उम्र में भाई को देखकर थामा रैकेट
प्रियांशु ने अपने बड़े भाई कुणाल राजावत के पदचिन्हों पर चलते हए मात्र छह साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। प्रियांशु ने कहा, पापा के साथ भईया को लेने जाता था तो मेरी रुचि भी इस खेल में बढ़ी और मैंने भी ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया। आठ साल का हुआ तो ग्वालियर स्थित पुलेला गोपीचंद एकेडमी में एडमिशन हो गया और कुछ समय बाद ही गोपी सर ने मुझे हैदाराबाद स्थित एकेडमी बुला लिया था। 12 -13 साल से मैं वहीं अभ्यास करता हूं।
मम्मी को रहती है टेंशन, इसलिए नहीं देखती मैच
प्रियांशु ने कहा कि परिवार ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया है। उनके लिए यह खिताब बहुत खास है। मेरी मम्मी मुझे लेकर टेंशन में रहती हैं, इसलिए कभी भी मेरा लाइव मैच नहीं देखती हैं, दीदी ही उन्हें फोन कर बताती हैं कि मैं जीत गया हूं। दीदी मेरे काफी करीब हैं और लगातार मेरा हौसला बढ़ाती रहती हैं।

थोड़ा आराम फिर तैयारी शुरू
प्रियांशु ने अपने आगामी प्रोजक्ट के बारे में बताया कि मैं अभी कुछ दिन आराम करना चाहता हूं क्योंकि उसके बाद लगातार तीन बड़े इवेंट आने हैं। मध्यप्रदेश के इस 21 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, अगले महीने मलेशिया, थाईलैंड सिंगापुर ओपन होने हैं, और मैं जल्दी ट्रेनिंग शुरू करूंगा।
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