ओर्लियंस मास्टर्स के अंतिम 16 दौर में प्रियांशु ने जापान के केंटो निशिमोतो को हरा कर सनसनी फैला दी थी। प्रियांशु ने उस मैच को लेकर कहा कि मेरे कोच गोपी सर के सपोर्ट और सीनियर्स के साथ किए गए अभ्यास से मुझे काफी मद द मिली। मैंने एक बार भी नहीं सोचा कि मैं किसके खिलाफ खेल रहा हूं, बस अपना स्वभाविक खेल दिखाया।
प्रियांशु ने अपने बड़े भाई कुणाल राजावत के पदचिन्हों पर चलते हए मात्र छह साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। प्रियांशु ने कहा, पापा के साथ भईया को लेने जाता था तो मेरी रुचि भी इस खेल में बढ़ी और मैंने भी ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया। आठ साल का हुआ तो ग्वालियर स्थित पुलेला गोपीचंद एकेडमी में एडमिशन हो गया और कुछ समय बाद ही गोपी सर ने मुझे हैदाराबाद स्थित एकेडमी बुला लिया था। 12 -13 साल से मैं वहीं अभ्यास करता हूं।
प्रियांशु ने कहा कि परिवार ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया है। उनके लिए यह खिताब बहुत खास है। मेरी मम्मी मुझे लेकर टेंशन में रहती हैं, इसलिए कभी भी मेरा लाइव मैच नहीं देखती हैं, दीदी ही उन्हें फोन कर बताती हैं कि मैं जीत गया हूं। दीदी मेरे काफी करीब हैं और लगातार मेरा हौसला बढ़ाती रहती हैं।
थोड़ा आराम फिर तैयारी शुरू
प्रियांशु ने अपने आगामी प्रोजक्ट के बारे में बताया कि मैं अभी कुछ दिन आराम करना चाहता हूं क्योंकि उसके बाद लगातार तीन बड़े इवेंट आने हैं। मध्यप्रदेश के इस 21 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, अगले महीने मलेशिया, थाईलैंड सिंगापुर ओपन होने हैं, और मैं जल्दी ट्रेनिंग शुरू करूंगा।