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टोक्यो ओलंपिक में दिए जाने वाले मैडल बने हैं मोबाइल और लैपटॉप से, जानें कैसे हुए हैं तैयार

locationनई दिल्लीPublished: Jul 27, 2021 01:23:33 pm

Submitted by:

Ronak Bhaira

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में दिए जाने वाले मैडल (Medal) इलेक्ट्रॉनिक्स के खराब और पुराने सामान को डंप करके बनाए गए हैं। इन्हें एक विशेष प्रक्रिया के जरिये बनाया गया है।

The medals of Tokyo Olympics are made from mobile and laptop

The medals of Tokyo Olympics are made from mobile and laptop

नई दिल्ली। टोक्यो में चल रहे ओलम्पिक खेलों पर सबकी नजर है। हर देश के लोग इसकी गिनती करने में लगे हुए हैं कि उनके देश को कितने मैडल मिले हैं, अगर मिले हैं तो गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज कितने हैं। यह कहा जा सकता है कि ओलम्पिक खेलों में लोगों की रूचि बढ़ रही है। अब ऐसे में मैडल की गिनती करने वालों को यह भी जानने का हक तो बनता ही है कि मैडल बनते किस धातु के हैं।
बता दें कि टोक्यो ओलपिंक (Tokyo Olympic) में दिए जाने वाले मैडल शुद्ध सोने, चांदी या लोहे के नहीं बल्कि खराब और पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान से बने होते हैं, जिनमें मोबाईल और लैपटॉप शामिल हैं। इन्हें रीसाइकल करके ही मैडल तैयार किए जाते हैं।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार टोक्यो खेलों के प्रवक्ता हितोमी कामिजावा के अनुसार एक खास अभियान चलाया गया था जिसमें जनता से पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान को इकट्ठा किया गया और उसे पिघलाकर मैडल बनाए गए। हितोमी ने इस अभियान में भाग लेने वाले सभी लोगों का आभार जताया।
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अभियान छोटे स्तर पर हुआ था शुरू
दरअसल इस अभियान में जापान के 90 प्रतिशत गांवों व शहर ने हिस्सा लिया। इनके द्वारा दिए गए पुराने व खराब इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान से 5000 कांस्य, रजत व स्वर्ण पदक तैयार किए गए। इसे बहुत छोटे स्तर पर शुरू किया गया था लेकिन योजना धीरे धीरे बढ़ती गई और पूरे जापान ने इसमें सहयोग किया। पहले महज 600 नगरपालिकाएं थीं लेकिन 2019 में बढ़कर 1600 हो गईं।
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कितना सोना-चांदी हुआ इकट्ठा
बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान में सोने, चांदी व लोहे की छोटे छोटे अंश पाए जाते हैं, जिन्हें इनसे अलग किया जाता है और बाद में डंप कर दिया जाता है। रीसाइक्लिंग के इस अभियान में 70 पाउंड (32 किलोग्राम) सोना, 7,700 पाउंड चांदी और 4,850 पाउंड कांस्य को इकट्ठा किया गया है।। कमिजावा ने कहा कि ये सब करीब 80 टन पुराने फोन और लैपटॉप जैसे कई उपकरणों से प्राप्त हुए
गौरतलब है कि इस योजना को 2017 में शुरू किया गया था, जिसका बाद में विस्तार हुआ और अब एक बड़े स्तर यह काम कर रही है। उम्मीद लगाई जा रही है कि इससे आने वाले समय में काफी परिवर्तन होने वाला है एवं इससे पर्यावरण संरक्षण में भी होगा।
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