शोएब अख्तर पर बनने जा रही है बायोपिक ‘रावलपिंडी एक्सप्रेस’
उस दिन जब प्रतियोगिता स्टार्ट होने वाली थी तो मिल्खा सिंह के कोच हावर्ड उनके पास आकर बैठे और कहा या तो तुम आज कुछ बन जाओगे या बर्बाद हो जाओगे। तुम में काबिलियत है इसलिए अगर तुम मेरी बात मानोगे तो स्पेंस को हरा पाओगे। मिल्खा सिंह ने अपने उस दौड़ के बारे में जिक्र करते हुए बताया था कि वह इस तरह भाग रहे थे कि जैसे मधुमक्खी का झुंड उनके पीछे पड़ा हो और फिनिशिंग लाइन से पहले जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो स्पेंस उनसे आधा फिर पीछे रह गए थे लेकिन भाग्य ने मिल्खा सिंह का साथ दिया और उन्होंने इतिहास रचते हुए स्वर्ण पदक को अपने नाम किया।साल 2018 के बाद वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले टॉप 4 बल्लेबाज
मिल्खा सिंह ने बताया कि इस सवाल का जवाब उन्हें समझ नहीं आ रहा और अचानक ही उन्होंने जीत की खुशी में कहा कि देश भर में 1 दिन की छुट्टी दी जाए। बताया जाता है जिस दिन मिल्खा सिंह ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतकर भारत लौटे थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत में 1 दिन के अवकाश की घोषणा की थी।1958 राष्ट्रमंडल खेलों में 440 गज की दौड़ की प्रतियोगिता चल रही थी तो उस समय इस रेस में 6 अन्य खिलाड़ी भी थे लेकिन उस साल मिल्खा को एक अंडररेटेड खिलाड़ी समझा जा रहा था। लेकिन जब दौड़ खत्म हुई तो मिल्खा सिंह ने अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवा दिया था। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया वेल्स के खचाखच भरे स्टेडियम में महान धावक मैलकम स्पेंस को पीछे छोड़ चैंपियन बने थे। उन्होंने यह दौड़ रिकॉर्ड 46.6 सेकेंड में पूरी की थी साथ ही एक नया रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था।