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जब इस खिलाड़ी ने मैदान से कहा मेरा खेल और कोशिश हर मां को समर्पित

locationजयपुरPublished: Sep 24, 2018 08:43:09 pm

Submitted by:

manish singh

मैदान पर तेज आवाज में चीखते हुए बोलीं ‘जो भी मांएं आज यहां पर हैं… मैं आज आप लोगों के लिए खेलूंगी और जीत की पूरी कोशिश करूंगी’।

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जब इस खिलाड़ी ने मैदान से कहा मेरा खेल और कोशिश हर मां को समर्पित

टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स के भीतर अकल्पनीय, विस्फोटक और निरंतर संघर्ष करने वाली ताकत है। एक बच्चे की मां है। पेट पर ऑपरेशन का दाग तो फेफड़े के स्थान पर जन्मजात दाग जिसे देख लगता है कि बचपन में ही मार देता। विलियम्स समय और प्रकृति में बदलाव के साथ कई प्रतिद्वंद्वियों के साथ अलग-अलग परिस्थितियों में खेली हैं। गर्भावस्था में बच्चे के वजन की वजह से मांसपेशी टूट गई थी जिससे तीन हफ्ते तक आराम करना पड़ा था। पैर सामान्य की तुलना में थोड़ा स्थूल पड़ गए थे। मैच में बॉल नेट के पास घूम कर बेसलाइन से पहले ही ठहर जाती थी। इसके बाद मैदान पर तेज आवाज में चीखते हुए बोलीं ‘जो भी मंाएं आज यहां पर हैं… मैं आज आप लोगों के लिए खेलूंगी और जीत की पूरी कोशिश करूंगी’ और इन्होंने कर दिखाया।

साक्षात्कार में बताया कि सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार हर तीसरी या चौथी ब्लैक वीमन प्रसव के दौरान कई तरह की जानलेवा परिस्थितियों से गुजरती है। प्री-टूर्नामेंट से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्तनपान के सवाल पर कहा था कि स्तनपान के किसी भी सवाल को लेकर कोई झिझक नहीं होती है। विलियम्स ने वॉग पत्रिका को प्रसव बाद होने वाली परेशानियों के बारे में विस्तर से बताया था। फेफड़ों में संक्रमण के साथ उसमें हुआ रैप्चर तकलीफदेह था। पेट में घाव के साथ ब्लड के थक्के ने करीब छह हफ्ते तक बिस्तर से उठने नहीं दिया। मां बनने की खुशी में शरीर सभी तरह की परेशानियों को भुलाकर नए तरीके से तैयार होने की कोशिश कर रहा था। जब बच्चे के रोने की आवाज सुनाई देती थी तो उस दर्द का तो अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता था। इससे समझा जा सकता है कि उन महिलाओं और बच्चों को किस तरह की परेशानी उठानी पड़ती होगी जिनके पास इलाज के लिए डॉक्टर व दवा की सुविधा नहीं है। वे बहुत खुशनसीब हैं कि वे अपने शरीर को अच्छी तरह से समझती हैं। इन्हें अच्छे डॉक्टर मिले। ऐसा अधिकतर अफ्रीकी अमरीकन और ब्लैक वीमन को नसीब नहीं हो पाता है। सेरेना ने जैसे रिकवर किया वह काबिले तारीफ है और उनकी हिम्मत की दाद देनी होगी।

विलियम्स ने एक पत्रिका को प्रसव बाद होने वाली परेशानियों के बारे में विस्तार से बताया था। फेफड़ों में संक्रमण के साथ उसमें हुआ रप्तचर तकलीफदेह था। एब्डॉमेन में घाव के साथ ब्लड के थक्के ने करीब छह हफ्ते तक बिस्तर से उठने नहीं दिया। इसी में मां बनने की खुशी में शरीर सभी तरह की परेशानियों को भुलाकर नए तरीके से तैयार होने की कोशिश कर रहा था। जो परेशानी या दबाव आप झेल रहे थे उसे कोई दूसरा नहीं समझ सकता है। जब बच्चे के रोने की आवाज सुनाई देती थी तो उस दर्द को तो अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन महिलाओं और बच्चों को किस तरह की परेशानी उठानी होती होगी जिनके पास इलाज के लिए डॉक्टर व दवा तक की सुविधा नहीं है। मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मैं अपने शरीर को अच्छे तरह से समझती हूं। मुझे अच्छे डॉक्टर मिले। ऐसा तजुर्बा अधिकतर अफ्रीकी अमरीकन और काले लोगों को नसीब नहीं हो पाता है।

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