श्री गंगानगर

आवारा कुत्तों का आतंक..एक साल में 20 हजार लोगों को काटा

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श्री गंगानगरJun 19, 2019 / 01:28 pm

Krishan chauhan

एक साल में 20 हजार लोगों को काटा

आवारा कुत्तों का आतंक…
एक साल में 20 हजार लोगों को काटा

-वर्ष 2014 में 12 हजार 796 रोगियों को कुत्तों ने काटा जबकि वर्ष 2018 में आंकड़ा बढकऱ 19 हजार 801 तक पहुंचा

श्रीगंगानगर. जिला मुख्यालय सहित जिले भर में आवारा कुत्तों का आतंक समय के साथ कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। पिछले एक साल में जिले में 20 हजार लोगों को आवारा कुत्तों ने लोगों को शिकार बना डाला। वर्ष 2014 में 12 हजार 796 लोगों को कुत्तों ने काट था, जबकि चार साल में सात हजार संख्या बढ़ गई। हाइकोर्ट ने एक आदेश दिया था कि आप कुत्तों को जान से नहीं मार सकते हैं जबकि आवारा कुत्तों को पकड़ कर इनकी नसबंदी की जाए। यह मुद्दा आम व्यक्ति से जुड़ा हुआ है लेकिन इसको लेकर न जिला प्रशासन गंभीर है और ना नगर परिषद, नगर पालिका और पशुपालन विभाग। इन विभागों की संवेदनहीनता की वजह से आवारा कुत्तों के शिकार बच्चे हो रहे हैं।
सोमवार को रायसिंहनगर-श्रीविजयनगर मार्ग पर निरंकारी कॉलोनी के पास की ढाणी में वारदात हुई। इसमें चार बच्चों सहित एक युवक व एक 55 वर्षीय व्यक्ति को कुत्तों को काटने की बहुत गंभीर घटना हुई थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले के हर गांव,शहर व कस्वां व ढाणी तक आवारा कुत्तों का आंतक बना हुआ है। इन पर अंकुश लगाने के लिए तहसील व जिला प्रशासन तक आगे नहीं आ रहा है।
चार साल में सात हजार तक आंकड़ा बढ़ा

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की साल दर साल आंकड़ों की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी कह रही है। हर साल कुत्तें काटने की संख्या बढ़ रही है और बहुत तेजी से बढ़ रही है। जहां वर्ष 2014 में 12 हजार 796 रोगियों को कुत्तों ने काटा था लेकिन जहां वर्ष 2018 में आंकड़ा बढकऱ 19 हजार 801 तक पहुंच गया। इससे आंकड़ा से आप अंदाजा लगा सकते हो कि गांव,कस्बा व शहर में कुत्तों के आंतक से बच्चें व आम व्यक्ति कितना सुरक्षित है। जिले में यूं बढ़ता डॉग बाइट का आंतक वर्ष रोगी
कुत्तों को पकडऩे का कोई इंतजाम नहीं

शहर में नगर परिषद के पास आवारा कुत्तों को पकडऩे के लिए कुछ इंतजाम नहीं है। परिषद कभी-कभार खानापूर्ति जरूर करती है लेकिन आवारा कुत्तों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है। परिषद अधिकारियों का तर्क है कि आवारा कुत्तों को पकड़ कर फिर कहां पर रखा जाए। इन कुत्तों को रखने के लिए परिषद के पास कोई जगह नहीं है।
झूंड बनाकर रहते कुत्तें--जिला मुख्यालय पर 50 वार्ड है और अब इनकी संख्या बढकऱ 65 तक पहुंच गई है लेकिन शहर में आवारा कुत्तों का आतंक बना हुआ है। शहर की पुरानी आबादी के सब्जी मंडी व धींगड़ा पार्क के आस-पास सहित पुरानी आबादी क्षेत्र में जगह-जगह रात्रि को आवारा कुत्तों को झुंड बना हुआ रहता है। रात्रि को आम व्यक्ति का सडक़ से निकलना मुश्किल हो जाता है। यह कुत्ते व्यक्ति को अकेला देखकर हमला कर देते हैं। हनुमानगढ़ रोड़,श्रीकरणपुर रोड पदमपुर रोड सहित शहर के वार्ड नंबर एक व दो में आवारा कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा है। सादुलशहर रोड पर शहर में सबसे ज्यादा आवारा कुतों का आंतक बना हुआ है। इसके अलावा बंसती चौक रोड़ से सद्भावना नगर जाने वाली रोड़ पर पुराना गंदा पानी के खड्ढ़े के पास कुत्तें बहुत ज्यादा है। यहां पर रात्रि और अल सुबह आम व्यक्ति का निकलना मुश्किल होता है। शहर में कई बार छोटे बच्चों को कुत्तें काटने की घटनाएं हो चुकी है। रायसिंहनगर में एक सप्ताह में डेढ़ दर्जन बच्चों व लोगों को आवारा कुत्तों ने काटा है।
नहीं की जाती कुत्तों की नसबंदी
पशुपालन विभाग आवारा कुत्तों की नसबंदी नहीं कर रहा है और नगर परिषद और नगर पालिका आवारा कुतों को पकडऩे के लिए कुछ नहीं कर रहा है। एक-दूसरे की जिम्मेदारी बताकर खानापूर्ति कर ली जाती है। तत्कालीन जिला कलक्टर ने कई बार जिला स्तरीय मीटिंग में नगर परिषद आयुक्त और पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक को पाबंद किया गया। मौका पर अधिकारियों के समक्ष कार्रवाई का आश्वासन देते हैं जबकि सच्चाई यह है कि अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
2014 12796
2018 19801

2019 8249
(30 अप्रेल 2019 तक)

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