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पोषाहार के लिए नहीं मिलता पानी
स्कूल में एक पानी की टंकी बनी है जिसे जलदाय विभाग से जलापूर्ति आने पर भर लिया जाता है। बाद में हैंडपंप के माध्यम से वहां से पानी निकालकर उपयोग किया जाता है। दिन में पोषाहार बनाने के समय में सामान्यत: जलापूर्ति नहीं होती। ऐसे में पानी का भंडारण भी नहीं हो पाती। इसी परेशानी से निजात पाने के लिए यहां के शिक्षकों को बार-बार जलदाय विभाग के चक्कर काटने पड़ते हैं तथा पानी के टैंकर मंगवाकर जलापूर्ति सामान्य करनी पड़ती है।
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एक साथ तीन कक्षाएं
स्कूल में आठ कक्षाएं हैं और तीन शिक्षक ऐसे में एक साथ तीन कक्षाओं का संचालन करना पड़ता है। यहां 90 विद्यार्थी अध्यनरत है। ऐसे में तीन शिक्षकों केसाथ आठ कक्षाएं संचालित करने के लिए तीन-तीन कक्षाएं एक साथ लगानी पड़ती है। एक शिक्षक के अवकाश पर होने पर तो हालात और भी विकट हो जाते हैं।
स्टोर रूम में विद्यार्थी
विद्यालय में केवल तीन कक्ष होने के कारण स्टोर रूम में भी विद्यार्थियों को अध्यापन करवाना पड़ता है। शनिवार दोपहर भी यहां पोषाहार के बर्तन और अनाज रखने के कमरे में विद्यार्थी अध्ययन करते नजर आए। विद्यालय में थोड़ा बहुत फर्नीचर है। शेष कक्षाओं में विद्यार्थी टाट पट्टियों पर बैठकर ही अध्ययन करते हैं।