श्रीगंगानगर. राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नेतेवाला में गुरुवार को 0 से 15 साल के बच्चों का स्वर्णप्राशन संस्कार (swarn prashan) किया गया। यह दवा पीने के लिए 549 बच्चे औषधालय में पहुंचे। यह कार्यक्रम जनसहयोग से करवाया गया। इससे पहले 4 जुलाई को इसी औषधालय में 721 बच्चों को यह दवा पिलाई गई थी।
वैद्य विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि आजकल बच्चों में बार-बार बीमार होने की समस्या है। ज्यादातर बच्चे उदर रोग से पीडि़त होते हैं। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से वे बार-बार बीमार होते हैं। स्वर्णप्राशन की दो बूंद दवा पीने से उन्हें बीमारियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही बुद्धि का विकास होता है। यह जिले का संभवत: पहला राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय है जिसमें दूसरी बार स्वर्णप्राशन संस्कार किया गया है। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में वर्णित 16 संस्कार में से यह जातकर्म संस्कार है। यह दुर्लभ दवा हर माह के पुष्य नक्षत्र को ही पिलाई जाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सक शर्मा के अनुसार जिन दवाओं से यह औषधि तैयार होती है वे काफी महंगी है तो राजकीय सप्लाई में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में जनसहयोग से बाजार से दवाइयां मंगवाकर स्वर्ण प्राशन औषधि तैयार की जाती है। गुरुवार सुबह आठ बजे से एक बजे तक वैद्य शर्मा और आयुर्वेद कंपाउडर दयानंद पारीक ने बच्चों को यह दवा पिलाई।
वैद्य विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि आजकल बच्चों में बार-बार बीमार होने की समस्या है। ज्यादातर बच्चे उदर रोग से पीडि़त होते हैं। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से वे बार-बार बीमार होते हैं। स्वर्णप्राशन की दो बूंद दवा पीने से उन्हें बीमारियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही बुद्धि का विकास होता है। यह जिले का संभवत: पहला राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय है जिसमें दूसरी बार स्वर्णप्राशन संस्कार किया गया है। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में वर्णित 16 संस्कार में से यह जातकर्म संस्कार है। यह दुर्लभ दवा हर माह के पुष्य नक्षत्र को ही पिलाई जाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सक शर्मा के अनुसार जिन दवाओं से यह औषधि तैयार होती है वे काफी महंगी है तो राजकीय सप्लाई में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में जनसहयोग से बाजार से दवाइयां मंगवाकर स्वर्ण प्राशन औषधि तैयार की जाती है। गुरुवार सुबह आठ बजे से एक बजे तक वैद्य शर्मा और आयुर्वेद कंपाउडर दयानंद पारीक ने बच्चों को यह दवा पिलाई।
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इन दवाओं से बनती है स्वर्ण प्राशन औषधि ब्राह्मीघृत, शहद, स्वर्णभस्म, गिलोय, वच, शतावरी, अश्वगंधा और शतावरी से निश्चित अनुपात में मिश्रण से यह औषधि तैयार होती है।
इन दवाओं से बनती है स्वर्ण प्राशन औषधि ब्राह्मीघृत, शहद, स्वर्णभस्म, गिलोय, वच, शतावरी, अश्वगंधा और शतावरी से निश्चित अनुपात में मिश्रण से यह औषधि तैयार होती है।