पिछले तीन दिन से नगर परिषद परिसर में सफाई कर्मी धरने पर थे। हालांकि इस आंदोलन को समाप्त करने की रूपरेखा बुधवार सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे उस समय तैयार हो गई जब कलक्टर ज्ञानाराम ने खुद पूरे प्रकरण की तथ्यात्मक रिपोर्ट नगर परिषद से मांगी और सहानुभूति का दृष्टिकोण अपनाते हुए राज्य सरकार से सरकारी नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया।
आयुक्त-बिहाणी में नोंक-झोंक
बिहाणी शिक्षा न्यास के अध्यक्ष जयदीप बिहाणी ने आयुक्त चेम्बर में सभापति अजय चांडक के साथ बातचीत की। इस दौरान आयुक्त सुनीता चौधरी ने कहा कि मृतक ओमप्रकाश के परिजनों को संविदा के रूप में नौकरी देने के लिए तैयार हैं, तब बिहाणी बोले कि संविदा कर्मी तो वे अपने संस्थान में भी रख सकते हैं। इस दौरान आयुक्त ने बिहाणी पर कथित टिप्पणी कर दी तो बिहाणी भी चुप नहीं रहे। दोनों के बीच कहासुनी से माहौल बिगड़ गया। आंदोलनकारियों ने उसी समय कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर दिया।
नियम तो लाओ मैं करूंगा अनुंशसा
प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारियों ने जिला कलक्टर से वार्ता की। वार्ता के दौरान यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार गौड़ का कहना था कि सरकार चाहे तो सब कुछ संभव है। पूर्व सभापति जगदीश जांदू ने भी मृतक के परिजन को सरकारी नौकरी की वकालत की। सफाई मजदूर के महामंत्री बंटी वाल्मीकि ने सहानुभूति तो दिखा दो। यह सुनकर कलक्टर बोले कि नियम तो लाओ, वे खुद सरकार से बात करने को तैयार हैं। नगर परिषद बोर्ड के प्रस्ताव के संबंध में उनका कहना था कि बोर्ड को ऐसा कोई अधिकार नहीं है।
यह था मामला
सात मई की सुबह करीब साढ़े आठ बजे पुरानी आबादी वार्ड चार में कचरा ढाने वाले ऑटो जिस पर कंटनेर रखा जाता है, इस टिप्पर (ऑटो) के चालक शुगर मिल कॉलोनी निवासी चालीस वर्षीय ओमप्रकाश पुत्र माहीलाल ले जा रहा था। तब टिप्पर के हाइड्रोलिक पाइप लाइन खराब हो गई जिसे यह चालक खुद ही ठीक करने लगा तो यह पाइप फटने से कंटनेर उस पर आ गिरा। उसे मोहल्लावासियों ने किसी तरह बाहर निकालकर राजकीय जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया जहां उसने कुछ देर बाद दम तोड़ दिया।
इस संविदा कर्मी के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। उसका परिवार उसके मानदेय पर निर्भर था। सफाई मजदूर कांग्रेस यूनियन ने उसके परिवार को उचित मुआवजा दिलाने के लिए सफाई व्यवस्था ठप कर दी। सरकारी नौकरी और पन्द्रह लाख रुपए देने का प्रस्ताव उसी दिन शाम सवा पांच बजे नगर परिषद बोर्ड की विशेष बैठक में पार्षदों ने कर दिया लेकिन यह राशि कहां से मिले इस पर असमंजस था।