————— पिछले साल की तुलना में सुधार—शिक्षा विभाग के अनुसार वर्ष 2018 में विज्ञान वर्ग का परिणाम 88.10 प्रतिशत रहा था। यह वर्ष 2019 में 2.7 प्रतिशत सुधार कर 90.17 प्रतिशत पहुंच गया। इसी प्रकार वाणिज्य वर्ग में 2018 में 96.84 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा। इस साल यह 0.22 प्रतिशत सुधरकर 97.06 प्रतिशत रहा है।
—————– वाणिज्य वर्ग परीक्षार्थी में शामिल हुए छात्र- 433 छात्राएं-248 कुल विद्यार्थी-681 ————– परीक्षा परिणाम छात्र प्रथम श्रेणी-250 छात्र द्वितीय श्रेणी-158 छात्र तृतीय श्रेणी-7
कुल- 415 उत्तीर्ण छात्र-95.84 प्रतिशत बेटियां प्रथम श्रेणी-211 द्वितीय श्रेणी-35 कुल-246 उत्तीर्ण छात्राएं-99.19 प्रतिशत वाणिज्य वर्ग में विद्यार्थी प्रथम श्रेणी-461 द्वितीय श्रेणी-193 तृतीय श्रेणी-661
प्रतिशत-97.06 ———— विज्ञान वर्ग परीक्षार्थी शामिल हुए छात्र-3158 छात्राएं-1493 कुल विद्यार्थी-4651 परीक्षा परिणाम छात्र प्रथम श्रेणी-2060 छात्रा द्वितीय श्रेणी-467 छात्राएं तृतीय श्रेणी-1 उत्तीर्ण- 236
कुल-2764 छात्रों का परिणाम-87.52 प्रतिशत बेटियां प्रथम श्रेणी-1289 द्वितीय श्रेणी-110 तृतीय श्रेणी-2 उत्तीर्ण- 29 कुल-1430 परिणाम- 95.78 प्रतिशत
———– विज्ञान वर्ग में कुल विद्यार्थी प्रथम श्रेणी-3349
———– विज्ञान वर्ग में कुल विद्यार्थी प्रथम श्रेणी-3349
द्वितीय श्रेणी-579 तृतीय श्रेणी-3 पास- 265 कुल- 4194 प्रतिशत-90.17 ————- परिणाम बढऩे के ये हैं कारण -स्कूलों में स्टाफ की कमी थी। अधिकांश स्कूलों में अब स्टाफ की पूर्ति हुई है।
-स्कूलों में परीक्षा से पहले मॉडल टेस्ट पेपर करवाएं जा रहे हैं। -विद्यार्थियों के माता-पिता जागरूक हुए हैं,विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी है। -समय पर स्कूलों में पढ़ाई कंप्लीट कर कर दूबारा रिवाइज करवाना।
-स्कूलों में सुविधाएं बढ़ी है और बच्चों को पढ़ाई के लिए अच्छा वातावरण मिल रहा है। -विद्यार्थियों को टीचर्स समय-समय पर गाइड करना। -विद्यार्थियों का पढ़ाई के प्रति काफी रुझान बढ़ा है।