सूत्र बताते हैं कि हाइकोर्ट में 1990 में एक फैसले के बाद पेट्रोल पम्प संचालकों को रसद विभाग से लाइसेंस लेने की प्रक्रिया से मुक्त कर दिया गया। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से कोई अपील नहीं की गई। रसद विभाग के अधिकारी साफ तौर पर मानते हैं कि पेट्रोल पम्पों पर अब उनका सीधा नियंत्रण नहीं है। किसी विवाद की स्थिति में उपभोक्ता पुलिस की मदद ले सकते हैं।
गुमराह कर रहे हैं सेल्स मैनेजर
पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री को आवश्यक सेवाओं में शुमार किया हुआ है। तीनों ही ऑयल कंपनियों के सेल्स मैनेजर प्रशासन को गुमराह करने में लगे हुए हैं। इनकी ओर से कलक्टर को बताया गया था कि रात्रि में श्रीगंगानगर में पेट्रोल पम्प बंद होने के बाद हाइवे पर स्थित पेट्रोल पम्पों से पेट्रोलियम पदार्थ की बिक्री होती है। हकीकत में साधुवाली के निकट का एरिया पंजाब में आता है, जबकि श्रीगंगानगर से बीकानेर और श्रीगंगानगर से हनुमानगढ़ तक हाइवे पर कहीं भी पेट्रोल और डीजल की बिक्री नहीं होती। रात को पेट्रोल पम्प बंद रहने से प्राथमिक चिकित्सा, शौचालय, ठण्डा पानी और आपात स्थिति में टेलीफोन करने की भी सुविधा बंद हो जाती है। तीनों ही ऑयल कंपनियों के सेल्स मैनेजर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे।
करेंगे बातचीत
आवश्यक सेवा का मतलब 24 घंटे सर्विस। अगर किसी उपभोक्ता को सरकारी विभाग से राहत नहीं मिलती है तो उसे कंज्यूमर कोर्ट में वाद लगाना चाहिए। श्रीगंगानगर में लोगों को 24 घंटे पेट्रोलियम पदार्थ उपलब्ध हों, इसके लिए प्रशासन से भी बातचीत की जाएगी।
भगवान सहाय महेन्द्रा, सदस्य, उपभोक्ता फोरम, श्रीगंगानगर।
मैं करुंगा प्रयास
ट्रायल के रूप में रात्रि में एक पेट्रोल पम्प खुलवाया जा सकता है। प्रशासन अगर रात्रि में पेट्रोल पम्पों को सुरक्षा मुहैया करवाकर पाबंद कर दें तो यह संभव है। मैं सोमवार को श्रीगंगानगर आकर रात्रि में लोगों को पेट्रोलियम पदार्थ उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास करुंगा।
विकास झाझडिय़ा, जिला समन्वयक, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन