उसकी सहायता के लिए सेवक सिंह भी साथ चला गया। एक ड्रम पानी भर किशन लाल गांव को ओर चला गया। सेवक सिंह वहां पड़ी बाल्टी की रखवाली करने बैठ गया। जब किशन लाल दूसरा ड्रम पानी लेने आया तो देखा कि बाल्टी रस्सी के सहारे डिग्गी में लटकी थी और सेवक का कोई अता पता नहीं चल रहा था। संभवत: सेवक पीने के लिए पानी खींचने के चक्कर में फि सल कर पानी में डूब चुका था। यह मंजर देख किशन लाल के होश उड़ गए। उसने शोर मचाया तो वहां लोग इक्क_े हो गए। काफ ी मशक्कत के बाद सेवक को बेहोशी की हालत में डिग्गी से निकला गया। पानी से निकाल कर यहां के राजकीय चिकित्सालय लाया गया। यहां लाते महेंद्र सिंह के परिवार का इकलौता चिराग बुझ चुका था।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
मृतक सेवक सिंह गांव के राजकीय विद्यालय से कक्षा आठवीं बोर्ड की परीक्षा दे चुका था। वार्ड पंच रामूराम ने बताया कि सेवक सिंह के पिता महेंद्र सिंह गांव में दिहाड़ी मजदूरी कर अपना गुजर बसर करता है। महेंद्र सिंह के चार बेटियां हैं जिनमें तीन बेटियों का विवाह हो चुका है। वह अपने बेटे को पढ़ा रहा था। इस घटना के बाद महेंद्र सिंह पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वह हर बात पर फूट-फूट कर रोने लगता है। कुछ वैसा ही हाल उसकी माता जीत कौर व बहनों का है।