जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि पूछताछ में इस आरोपी की निशानदेही पर करीब सवा दो सौ बैंक खातों के बारे में पता चला है। इन खातों से यह राशि अलग अलग लोगों को प्रोपर्टी खरीदने के अलावा फाइनेंस कंपनी को चुकता करने, सट्टेबाजी क अलावा अन्य कार्यो के लिए इस्तेमाल की थी। इस आरोपी के पास अलग अलग पांच लैपटॉप भी है लेकिन उनकी बरादमगी अभ्ीा तक नहीं हो पाई है।
इसके सहयोगी के तौर पर दो भाईयों, एक भाभी और एक भतीजा सक्रिय थे। इन लोगों से भी पूछताछ कर क्रॉस मिलान करना जरूरी है। वहीं बैक खातों से निकाली गई राशि को बरामद करना है। ऐसे में दो सप्ताह के लिए आरोपी का रिमांड मांगा तो बचाव पक्ष के वकील ने इसका विरोध किया। अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आरेापी ओपम्रकाश को पांच दिन पुलिस रिमांड पर भेज दिया। इस बीच पुलिस अधीक्षक हेमंत शर्मा की निगरानी में चार स्पेशल टीमों का गठन किया गया है।
इन चारों टीमों को अलग अलग दिशा में जांच की जिम्मेदारी दी है। पुलिस अधीक्षक ने पुलिस लाइन में कई अधिकारियों के साथ करीब दो घंटे तक मंत्रणा बैठक की। इसमें शिक्षा विभाग, जिला कोष कार्यालय, बैंकों के अलावा सीबीइओ ऑफिस के एक एक स्टाफ की कॉल डिटेल खंगालने और उसकी रोजाना मॉनीटरिंग करने के आदेश किए है। एसपी शर्मा ने बताया कि प्रत्येक टीम को उसके कार्य के अनुरुप एक्सपर्ट की सेवाएं लेने के लिए अधिकृत किया गया है। इलाके में शिक्षा विभाग में आरोपी पीटीआइ ओमप्रकाश शर्मा ने अपनी साइबर तकनीक से पूरे बजट को अपने रिश्तेदारों, परिचितों और परिजनों के बैंक खातों में जमा कर दिया था। इसके बाद वहां से निकाल लिए।
इस प्रकरण की जांच पुरानी आबादी थानाधिकारी दिगपाल सिंह के पास है। थानाधिकारी ने आरोपी पीटीआइ से पूछताछ की तो उसने चौंकाने वाली जानकारियां बताई है। इन सुराग के आधार पर जांच एजेंसी ने कई बैँकों के खातों की डिटेल खंगाली है। इसमें अब तक पन्द्रह करोड़ रुपए के बारे में ऑन रिकॉर्डड राशि का हिसाब सामने आया है। लेकिन बाकी हिसाब किताब के लिए कई बैँक खातों की डिटेल को खंगाला जा रहा है। पुलिस जांच टीम ने आरोपी पीटीआइ ओमप्रकाश शर्मा के सद्भावनानगर, मिर्जेवाला और हनुमानगढ़ रोड पर निर्माणाधीन दो घरों पर दबिश दी।
लेकिन तलाशी में ऐसा कुछ हाथ नहीं लगा जो पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि हो। जांच अधिकारी ने बताया कि उसके रावला स्थित खेत में भी तलाशी की जाएगी। इधर, पुलिस ने शिक्षा विभाग से 153 बिलों की जांच के संबंध में जानकारी मांगी है। ये बिल वर्ष 2018 से लेकर 27 जुलाई 2019 तक के है।
इन बिलों में जिन जिन शिक्षकों के पासवर्ड लगाए गए है, उनके असली नामों की सूची मांगी है। इसके अलावा कई दस्तावेजों को भी तैयार कर भिजवाने के निर्देश दिए गए है जिनके माध्यम से इन बिलों को तैयार किया गया। इधर, शिक्षा निदेशालय बीकानेर से आए जांच दल ने अब तक की जांच में यह पाया कि आरोपी पीटीआइ की एक कॉल पर जिला कोष कार्यालय से बिल पास हो जाता था। पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है। शिक्षा निदेशालय बीकानेर के लेखाधिकारी विनीत सहारण ने बताया कि इस मामले में जांच के लिए एक एक बिल की एंट्रियां का मिलान किया जा रहा है।
अधिकारियों के साइन फर्जी थे, इसके बावजूद आरोपी की ओर से तैयार किए गए बिलों को पास किया जाता था। अब तक वर्ष 2015 से अब तक सीबीईओ ऑफिस में उपार्जित अवकाश के बदले नकद भुगतान की आड़ में 35 करोड़ रुपए का गबन होने से पूरे शिक्षा विभाग में हडक़ंप सा मचा हुआ है।