न्यायालय विशिष्ट न्यायाधीश लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण प्रकरण एवं अनुसूचित जाति, जनजाति (अ. नि.प्र.) की पीठासीन अधिकारी संदीप कौर ने नाबालिग लड़की की हत्या व पोस्को एक्ट में एक आरोपी को आजीवन कारावास और पचास हजार रुपए के जुमानज़्े की सजा सुनाई है। आरोपी ने नाबालिग के गुप्तांगों को दराती से काटकर क्षतिग्रस्त कर दिया और उसके चेहरे पर तेजाब डालकर शव नहर में फेंक दिया था।
विशिष्ट लोक अभियोजक बनवारीलाल कडेला ने बताया कि घमूड़वाली थाना इलाके में बींझबायला में एक नाबालिग घरों में काम करने जाती थी। वहां पड़ोस में ही एक मकान में निमाज़्ण कायज़् चल रहा था। वहां 27 एमएल साजनवाला पदमपुर निवासी बलविंद्र सिंह उफज़् कुलविंद्र सिंह पुत्र कलवंत सिंह चिनाई मिस्त्री का कायज़् करने जाता था।
नाबालिग से उसकी जान पहचान हो गई। 22 अगस्त 2014 को घर से काम करने गई नाबालिग शाम तक नहीं लौटी तो परिजनों ने उसकी तलाश की और पुलिस को सूचित किया। अगले दिन बारहमासी नहर पर जीवनदेसर के पीएस हैड के आगे नाबालिग का शव मिला। पुलिस ने अनुसंधान कर आरोपी बलविंद्र उफज़् कुलविंद्र सिंह को 16 सितंबर 2014 को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने अनुसंधान के बाद आरोपी के खिलाफ धारा 363, 364, 366, 369, 302, 376, 201, एससी,एसटी व पोस्को एक्ट प्रस्तावित कर चालान पेश किया। आरोपी नाबालिग को बहला-फुसलाकर बाइक पर बैठाकर खेत में ले गया, जहां उसने उससे बलात्कार कर हत्या कर दी। आरोपी ने दरांती से उसके गुप्तांग काट दिए तथा सबूत मिटाने के लिए चेहरे पर तेजाब डाल दिया। इसके बाद शव नहर में फेंक दिया।
लोक अभियोजक ने बताया कि इस मामले में नाबालिग के गुप्तांग काटने के कारण मेडिकल में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई। इसके चलते आरोपी पर नाबालिग की हत्या व सबूत मिटाने के आरोपों को अदालत ने प्रमाणित मानकर मंगलवार को उसे आजीवन कारावास व पचास हजार रुपए अथज़् दण्ड की सजा सुनाई। आरोपी 16 सितंबर 2014 से ही न्यायिक अभिरक्षा में चल रहा है।
परिजन हो गए थे पक्षद्रोही
-लोक अभियोजक ने बताया कि इस मामले में 110 दस्तावेज अदालत में पेश किए गए। साथ ही 39 गवाहों के बयान हुए। ट्रायल के दौरान मृतका के माता-पिता और परिजन पक्षद्रोही हो गए थे। लेकिन गवाहों के बयानों, पुलिस जांच, एफएसएल रिपोटज़् और बहस में आरोप प्रमाणित हुए।
-लोक अभियोजक ने बताया कि इस मामले में 110 दस्तावेज अदालत में पेश किए गए। साथ ही 39 गवाहों के बयान हुए। ट्रायल के दौरान मृतका के माता-पिता और परिजन पक्षद्रोही हो गए थे। लेकिन गवाहों के बयानों, पुलिस जांच, एफएसएल रिपोटज़् और बहस में आरोप प्रमाणित हुए।