इसमें बताया कि उसका चाचा हरदयाल सिंह विनोबा बस्ती में रहता था। हरदयाल की पत्नी की मौत हो चुकी है और एक बेटी ज्योति की शादी १८ एफएफ निवासी इन्द्रजीत सिंह के साथ हो गई थी, ज्योति अपने परिवार के साथ लुधियाना शिफ्ट हो चुकी है। एेसे में हरदयाल सिंह बुजुर्ग होने के कारण अपने घर पर अकेला ही था। जिसकी ११ और १२ मई २०१५ की रात को अज्ञात ने धारदार हथियार से हत्या कर दी। वारदात की सूचना मिलने पर पुलिस ने पड़ोसियों के अलावा रिश्तेदारों से पूछताछ की। जांच में यह सामने आया कि पुरानी आबादी प्रभु चौक निवासी बाईस वर्षीय नारायण सोनी उर्फ डॉन उर्फ नैनी पुत्र सुरेन्द्र कुमार सोनी और उसके जीजा मोंगा बाइस वर्षीय निवासी करण सोनी पुत्र कुलदीप सोनी दोनों चोरी करने की मंशा से घर में घुसे थे लेकिन वहां अलमारी नहीं खुली। आहट सुनकर बुजुर्ग ने शोर मचाने का प्रयास किया।
इस पर दोनों आरोपियों की चाकू से गोदकर बुजुर्ग हरदयाल सिंह की हत्या कर दी। अदालत ने दोनों आरोपियों को दोषी मानते हुए आईपीसी की धारा ३०२ में आजीवन कारावास और पांच-पांच हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया। अदालत ने उन्हें धारा ४४९ में दस-दस साल कठोर कारावास व पांच पांच हजार रुपए जुर्माना, धारा ३९७ में सात-सात साल कठोर कारावास और पांच-पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
अहम सबूतों से सजा तक पहुंचे आरोपी
पुलिस की जांच टीम ने आरोपी करण सोनी के कब्जे से मृतक का मोबाइल और सिम, आरोपी नारायण सोनी के कब्जे से एक साइकिल बरामद की। इसके अलावा इनकी निशानदेही से वारदात के दौरान पहने हुए खून से सने कपड़े और वारदात में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया। गिरफ्तारी से लेकर अब तक दोनों आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे थे। परिवादी के वकील रावल का कहना था कि खून से सने कपड़े और हत्या में प्रयुक्त चाकू पर लगे खून की पुष्टि विधि विज्ञान प्रयोगशाला ने अपनी रिपोर्ट में की। इसके आधार पर अदालत ने दोनों आरोपियों को दंडित किया।