scriptकिसानों को कम सिंचाई पानी वाली फसलों की बुवाई करने की सलाह | Advice farmers to sow crops with less irrigation water | Patrika News

किसानों को कम सिंचाई पानी वाली फसलों की बुवाई करने की सलाह

locationश्री गंगानगरPublished: Oct 01, 2021 10:55:04 am

Submitted by:

Krishan chauhan

सिंचाई पानी पर बवाल…-कलक्टर ने कृषि विभाग को किया पाबंद कि विभाग के कार्मिक गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक कम पानी चाहने वाली फसलें उगाने की जानकारी दी जाए

किसानों को कम सिंचाई पानी वाली फसलों की बुवाई करने की सलाह

किसानों को कम सिंचाई पानी वाली फसलों की बुवाई करने की सलाह

सिंचाई पानी पर बवाल…किसानों को कम सिंचाई पानी वाली फसलों की बुवाई करने की सलाह

-कलक्टर ने कृषि विभाग को किया पाबंद कि विभाग के कार्मिक गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक कम पानी चाहने वाली फसलें उगाने की जानकारी दी जाए
श्रीगंगानगर. आइजीएनपी व भाखड़ा और गंगकैनाल में सिंचाई पानी की कमी बनी हुई है और आइजीएनपी में रबी की बुवाई के लिए किसान चार में से दो समूह में सिंचाई पानी को लेकर आंदोलन कर रहे हैं जबकि जिला प्रशासन, जल संसाधन विभाग और कृषि विभाग डैम में कम पानी का हवाला देकर कम पानी वाली फसलों की बुवाई करने के लिए किसानों को प्रेरित करने का निर्णय किया है। जबकि आइजीएनपी से सिंचित क्षेत्र से जुड़ा किसान सिंचाई पानी को लेकर बड़ा आंदोलन कर रहा है। जबकि कृषि विभाग का कहना है कि श्रीगंगानगर जिला शुष्क एवं अद्र्धशुष्क जलवायु की श्रेणी में आता है। संरक्षित नमी, कम पानी एवं विपरित परिस्थितियों में भी सरसों व चना फसल की उन्नत तकनीक अपना कर अधिकतम उपज प्राप्त की जा सकती है।
गेहूं की फसल की बुवाई कम करने की सलाह

गेहंू फसल की तुलना में सरसों व चना की फसल मात्र 2 या 3 सिंचाई में ही पक कर तैयार हो जाती है। गेहंू की फसल को माह मार्च तक पकाव के लिए 5 से 6 सिंचाई पानी की आवश्यकता होती है। किसान से अपील है कि गेहंू फसल की बुवाई करने पर गेहंू को सिंचाई के लिए नहरी पानी उपलब्ध नहीं हो पाएगा। नहर नहीं चलने की स्थिति में गेहंू फसल को पानी उपलब्ध नहीं होने पर इसके उत्पादन पर अन्य रबी सीजन की फसलों की तुलना में सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कृषि विभाग ने किसानों से कहा कि जिन किसानों के पास स्वयं का ट्यूबवैल सहित सिंचाई की अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध होने पर ही वे स्वयं के उपभोग के लिए गेहंू फसल की बुवाई करें।
नहरों में पानी की उपलब्धता रहेगी कम

इस वर्ष मानसून की बरसात केचमेन्ट क्षेत्र में कम होने के कारण बांधों में पानी की आवक कम है। इस स्थिति को देखते हुए गत वर्षो की तुलना में इस वर्ष रबी सीजन में इंदिरा गांधी नहर परियोजना, भाखड़ा व गंग कैनाल में सिंचाई के लिए अपेक्षाकृत कम पानी उपलब्ध होने की संभावना है। इन्दिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में 21 सितंबर को जल वितरण एवं उपयोग के लिए गठित परामर्श दात्री समिति की बैठक में निर्धारित रेगुलेशन के अनुसार 4 में से 1 समूह में सिंचाई पानी उपलब्ध करवाने का निर्णय किया। इसी प्रकार गंग कैनाल व भाखड़ा क्षेत्र में भी सिंचाई पानी की उपलब्धता कम रहेगी।
50 प्रतिशत अनुदान पर प्रमाणित बीज भी उपलब्ध
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कृषि विभाग ने सरसों एवं चना फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए इन फसलों की अधिसूचित किस्मों का प्रमाणित बीज बुवाई के लिए सार्वजनिक व सहकारी क्षेत्र की बीज उत्पादक संस्थाओं जैसे राजस्थान स्टे्ट सीड्स कार्पोरेशन, नेशनल सीड्स कार्पोरेशन, तिलम संघ, कृभको, आइएफएफडीसी व नेफेड आदि के माध्यम से कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाया जा रहा है।
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सरसों व चना की फसल की बुवाई का समय

सामान्यत: सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय अक्टूबर माह है व देरी से बुवाई करने वाली किस्मों की बुवाई 10 नवंबर तक भी की जा सकती हैं। इसी प्रकार चने की फसल की बुवाई भी 20 अक्टूबर से 20 नवम्बर तक की जा सकती है। भारत सरकार ने सरसों व चना फसल के इस विपणन वर्ष 2022-23 के लिए आकृषित न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए गए हैं।
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श्रीगंगानगर जिले में रबी सीजन में मुख्यत: गेंहू, जौ, सरसों, चना व तारामीरा की फसलों की बुवाई की जाती है। नहरों में अपेक्षाकृत सीमित पानी की उपलब्धता को देखते हुए अधिक पानी चाहने वाली फसलों की बुवाई किया जाना संभव नहीं होगा। रबी सीजन में नहरों में सिंचाई पानी की सीमित उपलब्धता के मध्यनजर अधिक पानी चाहने वाली गेहंू की फसल की बुवाई यथा संभव नहीं करें तथा गेहंू के स्थान पर कम पानी में पकने वाली फसलों जैसे सरसों व चना की बुवाई को ही प्राथमिकता दें।
डॉ. जीआर मटोरिया, संयुक्त निदेशक कृषि विभाग, श्रीगंगानगर।

सिंचाई के लिए जल प्रबंधन एवं वैज्ञानिक तरीके से खेती करने पर कम पानी से अधिक पैदावार ली जा सकती है तथा कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक जाकर किसानों को कम पानी चाहने वाली फसलें उगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
जाकिर हुसैन, जिला कलक्टर, श्रीगंगानगर।

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