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आखिर 37 साल बाद डाक विभाग को आई भूखंड की याद

locationश्री गंगानगरPublished: Jul 23, 2021 09:59:54 pm

Submitted by:

surender ojha

After 37 years, the postal department remembered the plot- विवादित भूखंड पर टांगा डाक विभाग ने बोर्ड, यूआईटी और नगर परिषद पहले लगा चुकी है अपने अपने बोर्ड.

आखिर 37 साल बाद डाक विभाग को आई भूखंड की याद

आखिर 37 साल बाद डाक विभाग को आई भूखंड की याद

श्रीगंगानगर. हाउसिंग बोर्ड चौराहे पर बड़े और महंगे भूखंड के स्वामित्व को लेकर नगर विकास न्यास और नगर परिषद में पिछले छह दिनों से चल रहे विवाद में अब नया मोड़ आ गया है।

शुक्रवार शाम को डाक विभाग ने भी स्वामित्व का बोर्ड लगा दिया। डाक विभाग को यह भूखंड वर्ष 1985 में आवंटित किया गया था। इसके बाद इस भूखंड पर डाक विभाग ने कभी भी न निर्माण कराया और न ही स्वामित्व वाला साइन बोर्ड लगाया।
लेकिन शुक्रवार को डाक विभाग के अधीक्षक के माध्यम से इस बोर्ड को स्थापित कर दिया है। सहायक डाक अधीक्षक अजय चुघ का कहना है कि यह भूखंड अब भी डाक विभाग की संपति है।
भले ही यूआईटी ने उनके भूखंड का आवंटन निरस्त कर दिया हो लेकिन यह प्रकरण यहां एडीजे संख्या दो में विचाराधीन है। इस बोर्ड पर डाक विभाग की ओर से कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण की संख्या और कोर्ट के निर्णय होने तक किसी तरह का निर्माण या कब्जा नहीं जाने की चेतावनी अंकित की है।
इस बोर्ड के लगते ही यूआईटी में भी खलबली मच गई है। छह दिन पहले नगर परिषद के सभापति ने वहां नगर परिषद स्वामित्व वाला बोर्ड लगा दिया था। जबकि एक दिन पहले नगर विकास न्यास ने वहां अपने स्वामित्व का बोर्ड लगाकर इस भूखंड पर किसी तरह का निर्माण नहीं करने की चेतावनी अंकित की थी।
नगर विकास न्यास प्रशासन ने वर्ष 1984&85 में डाक विभाग को दो भूखंड आवंटित किए थे। हाउसिंग बोर्ड के सामने सुखाडि़यानगर में एक भूखंड पर डाक विभाग की ओर से सरकारी आवास का निर्माण करवाया गया जबकि दूसरे भूखंड को ऑफिस बनाने के लिए आरक्षित रख लिया। बजट नहीं आने के कारण डाक विभाग ने वर्ष 2005 में न्यास प्रशासन से इस भूखंड को आवासीय से कॉमर्शियल के रूप में अनुमति देने का आग्रह किया।
लेकिन न्यास प्रशासन ने वर्ष 2007 को डाक विभाग का यह प्रस्ताव निरस्त कर दिया। इस आवंटन निरस्त के खिलाफ डाक विभाग ने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की। हाईकोर्ट ने डाक विभाग को निर्देश दिए थे कि पहले यह प्रकरण सैशन कोर्ट में लगाया जाएं।
इस कारण वहां से यहां सैशन कोर्ट में दायर किया गया। सैशन कोर्ट ने यह प्रकरण एडीजे संख्या दो में अंतरित कर दिया। वहां यह प्रकरण अब भी विचाराधीन है। इस बीच वर्ष 2012 में न्यास प्रशासन ने इस भूखंड को बेचान करने के लिए न्यास परिसर में ही खुली लगाई।
उत्तर प्रदेश से एक फर्म के दो लोगो ंको व्यापारी बताकर वहां पेश किया गया। पहले व्यक्ति ने इस भूखंड की बोली 26 करोड रुपए की लगाई तो दूसरे व्यक्ति ने 70 करोड़ रुपए की बोली लगा दी थी। न्यास प्रशासन ने इस व्यक्ति से 15 लाख रुपए की राशि भी जमा कराई थी।
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