जानकारी के अनुसार पिछले दिनों दिल्ली की एक कंपनी व आईआईटी के इंजीनियरों दल यहां आया था। इस दल की ओर से शहर के व्यस्तम चौराहों व बाजारों में वायु प्रदूषण की जांच की गई थी। जांच के दौरान तथ्य सामने आए कि सिटी में वायु प्रदूषण सामान्य से अधिक पाया गया।
दिल्ली की कंपनी के इंजीनियरों ने यहां का वायु प्रदूषण वल्र्ड हैल्थ ऑर्गनाइजेशन के मानक के हिसाब से तीन से चार गुना अधिक पाया गया है। इस कंपनी की ओर से दिल्ली, चडीगढ़ के बाद राजस्थान के उदयपुर व भिवाड़ी में भी सर्वे किया था, जहां भी वायु प्रदूषण सामान्य से काफी अधिक पाया गया।
इसके बाद कंपनी की ओर से श्रीगंगानगर में सर्वे किया गया। वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर सडक़ के बीच खड़े रहने वाले ट्रेफिक पुलिसकर्मियों पर होता है। वे यहां ड्यूटी के दौरान वाहनों के आवागमन से उडऩे वाली धूल, मिट्टी, वाहनों से निकलने वाला धुआं सांस के साथ अंदर ले रहे हैं। जो आने वाले समय में उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे फेंफड़ों को काफी नुकसान पहुंचता है।
हुई पुलिसकर्मियों के फेंफड़ों की जांच – कंपनी के इंजीनियरों की ओर से सर्वे में वायु प्रदूषण अधिक पाए जाने के बाद चौराहों व मुख्य मार्गों पर ड्यूटी करने वाले ट्रेफिक पुलिसकर्मियों के फेंफड़ों की जांच कराई थी। जिसकी रिपोर्ट वे अपने साथ ले गए। इसकी जानकारी कंपनी की ओर से पुलिस अधिकारियों को दी गई। अब पुलिस अधिकारियों की ओर से उनके बचाव के उपाय किए जाएंगे। इसके बाद फिर से पुलिसकर्मियों के फेफड़ों की जांच की जाएगी।
प्रदूषण से बचाने के होंगे उपाय – यातायात प्रभारी कुलदीप सिंह का कहना है कि शहर के मुख्य बाजारों, चौराहों व मुख्य मार्गों पर ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए पुलिस अधिकारियों की ओर से जल्द ही कोई ना कोई उपाय किए जाएंगे। इसके लिए पुलिस विशेषज्ञों व दिल्ली की कंपनी के इंजीनियरों से विचार-विमर्श कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि ट्रेफिक पुलिसकर्मियों की ड्यूटी काफी हार्ड है। दिनभर वे धूल, धुआं व मिट्टी फांकते हैं।
प्रदूषण तनाव में आ जाते हैं पुलिसकर्मी – पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दिनभर ड्यूटी के दौरान वायु प्रदूषण झेलने वाले ट्रेफिक पुलिसकर्मियों में तनाव की शिकायत भी बढ़ती है। उमस, गर्मी व धूल, धुआं से उनके दिमाग पर भी असर पड़ता है। इन पुलिसकर्मियों को प्रदूषण बचाव के साथ ही तनाव से मुक्त रखने के लिए भी उपाय किए जाएंगे। अभी ट्रेफिक पुलिसकर्मियों को ड्यूटी के दौरान मुंह पर रूमाल व कपड़ा रखने की छूट दी हुई।
ये हैं वायु प्रदूषण के कारक – शहर के व्यस्तम इलाके में सुबह पांच बजे से रात बारह बजे तक चलने वाले दुपहिया वाहन, टेम्पो, बस, कारों, ट्रेक्टरों का धुआं निकलता है। जो वायु में मिल जाता है। इसके अलावा वाहनों के टायरों से उडऩे वाली धूल व मिट्टी से भी वायु प्रदूषण होता है। वाहनों से निकलने वाला धुआं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालता है।
इनका कहना है – शहर में मुख्य मार्गों, चौराहों पर वायु प्रदूषण सामान्य से अधिक होने की जानकारी मिली है। जिसका असर ट्रेफिक पुलिसकर्मियों पर अधिक पड़ता है। वे सख्त माहौल में ड्यूटी करते हैं। इसलिए प्रदूषण से बचाव के लिए जल्द ही उपाय किए जाएंगे। जिससे उनको कोई दिक्कत नहीं हो।
– हेमंत शर्मा, पुलिस अधीक्षक श्रीगंगानगर