गंगनहर रेगुलेशन कमेटी के अधिशासी अभियंता राजेंद्र सिंह, सहायक अभियंता नंद किशोर व जुगल किशोर व कनिष्ठ अभियंता प्यारेलाल पर सिंचाई पानी का समान वितरण नहीं कर गोलमाल करने का आरोप किसानों ने लगाए। इसके बाद रेगुलेशन कमेटी की मीटिंग हुई और इसमें पंजाब से मिलकर रहे सिंचाई पानी के अनुसार समान रूप से वितरण करने पर चर्चा की गई। इसमें समेजा नहर प्रणाली से महावीर गोदारा, जीजी नहर से क्रांति सहित नहर अध्यक्ष शामिल हुए।
जीजी नहर में पानी छोड़ क्यों बंद की गांव श्रीनगर के किसान जगमीत सिंह ने कहा कि जीजी नहर में सोमवार, मंगलवार व बुधवार रात तक की दो-दो बारियां सूखी चली गई। नहर में 130 क्यूसेक सिंचाई पानी प्रवाहित किया जा रहा था लेकिन अधिकारियों ने इसको बीच में बंद कर एमएल, एमएलए व केके नहर में सिंचाई पानी छोड़ दिया गया। जीजी नहर के किसानों में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के प्रति गुस्सा निकाला गया। जीजी नहर प्रणाली के अमतेंद्र सिंह क्रांति ने कहा कि जीजी नहर के किसानों की मांग वाजिब है तथा जल वितरण की व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है। एक्सइएन ने कहा कि एच नहर की मंगलवार, बुधवार शाम तक तीन बारियां खाली चली गई। इसलिए 12 घंटे हुए निर्णय के अनुसार भरपाई के लिए पानी दिया गया। बुधवार दो बजे नहर को बंद कर जीजी नहर में सिंचाई पानी छोड़ दिया गया। जीकेएस के रणजीत सिंह राजू, संतवीर सिंह मोहनपुरा आदि ने सिंचाई पानी को लेकर मुद्दे उठाए।
आखिर कहां जा रहा है 200 क्यूसेक सिंचाई पानी
किसान जसमत सिंह व रामकुमार ने कहा कि नेतेवाला हैड से नीचे सिंचाई पानी का समान वितरण क्यों नहीं किया जा रहा है। 200 क्यूसेक सिंचाई पानी कहां पर जा रहा है। किसानों ने कहा कि नेतेवाला हैड पर कार्मिक मनमर्जी से सिंचाई पानी छोड़ रहे हैं। इनको हटाने के लिए पिछली मीटिंग में निर्णय हुआ था लेकिन अभी तक वहीं लोग पानी छोडऩे का काम कर रहे हैं। इस पर एक्सइएन ने कहा कि इनको संबंधित ठेकेदार को हटाने के लिए निर्देशित कर दिए हैं। किसानों ने कहा कि आदेशों की पालना नहीं हुई है आप इनको हटाए नहीं तो इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाएं?
———- गंगनहर की 3300 क्यूसेक सिंचाई पानी की क्षमता है, जिसमें 1650 व 350 पेयजल आदि का सिंचाई पानी मिल रहा है। इसमें किसानों को कमेटी के निर्णय अनुसार सिंचाई पानी दिया जा रहा है। जीजी नहर के किसानों ने कुछ मुद्दे लिख कर दिए हैं। इनकी जांच कर निस्तारण करवा दिया जाएगा।
-राजेंद्र सिंह, अधिशासी अभियंता, रेगुलेशन कमेटी, जल संसाधन विभाग, श्रीगंगानगर।