माड़चंद असवाल वाटिका के पास तो बरसाती पानी और मुख्य नाले का पानी लोगों के घरों के आगे पिछले सप्ताह से खड़ा हुआ है, लोग अपने घरों की आवाजाही के लिए परेशानी झेल रहे है। यह पानी किसी की जान लेगा उससे पहले सड़क खाली करना जरूरी है। इंदिरा वाटिका में हुए हादसे के बाद नगर परिषद अमले ने ट्रक यूनियन पुलिया के पास पंपसेट लगाकर यह प्रक्रिया अपनाई।
पुरानी आबादी के ट्रक यूनियन पुलिया से लेकर उदाराम चौक तक, माड़चंद असवाल वाटिका, ग्रीन पार्क, मिनी मायापुरी के पास का बरसाती और नाले का गंदा पानी ए माइनर में डालने की प्रक्रिया अपना ली है। इस कारण नहर में अब सिंचाई पानी से ज्यादा गंदा पानी बहने लगा है। हालांकि पिछले महीने पन्द्रह जुलाई को हुई अतिवृष्टि के बाद आई सेना ने भी यही तरीका अपनाया था। लेकिन नगर परिषद प्रशासन ने इस वैकल्पिक व्यवस्था को अब तक लागू कर रखा है।
जितना पानी निकाला गया उससे ज्यादा आसमान से बरस चुका है। नगर परिषद प्रशासन ने ट्रक यूनियन पुलिया के पास पंपसेट के माध्यम से पानी को पदमपुर मार्ग पर डालने की प्रक्रिया शुरू की है। यही हाल आचार्य तुलसी मार्ग पर देखने को मिला।
सभापति करुणा चांडक के आवास के आसपास गलियां पानी से लबालब रही। इस पानी को रामलीला मैदान में डालने की प्रक्रिया शुरू की गई। वहीं गगन पथ और सूरतगढ़ मार्ग पर पानी एकत्र रहा। उधर, रेलवे स्टेशन रोड पर सीएमएचओ ऑफिस परिसर में डिस्पेंसरी पर पानी इतना अधिक था कि वहां रोगियों और अन्य लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी।
यही हाल राजकीय जिला चिकित्सालय के मुख्य गेट पर था, वहां भी लोग कीचड़ और बरसाती पानी को पार करने के लिए अपने जूते और चप्पल खोलकर चिकित्सालय परिसर में पहुंचे। इधर, सूरतगढ़ मार्ग पर पेट्रोल पंप के पास पानी अधिक भराव होने के कारण दुपहिया वाहनों को आवाजाही में परेशानी आई। उधर, नेहरा नगर में पानी निकासी की समस्या का हल पिछले दस दिन से नहीं हो पाया है।