ऐसे में विभाग के पास दूध उपलब्ध होने के बाद भी बच्चों को नहीं पिला पा रहे हैं। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों तक समस्या पहुंचा तो दी है लेकिन समाधान के नाम पर कुछ नहीं हो पा रहा है। सूरतगढ़ के बारह सैक्टरों में भी कमोबेश यही हाल है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने गत 2 जुलाई को सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के लिए अन्नपूर्णा दुग्ध योजना लागू की थी। लेकिन योजना की बड़ी खामी यह थी कि सरकारी विद्यालयों में बड़े बच्चों को तो दूध मिल रहा था लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों में जाने वाले नन्ने मुन्नों को दूध से वंचित रहना पड़ रहा था। ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ रहे 3 से 6 वर्ष तक के नौनिहालों को सूखा पूरक पोषाहार ही खाना पड़ रहा था।
यह खामियां उजागर होने के बाद गत 15 अगस्त को राज्य सरकार ने योजना का दायरा बढ़ाते हुए आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों को भी योजना में शामिल किया। इसके तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती एवं धात्री माताओं और किशोरी बालिकाओं को पूरक पोषाहार के साथ-साथ सप्ताह में तीन दिन दूध पिलाने की घोषणा की गई।
आचार संहिता में अटके टेंडर
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार की घोषणा के बाद आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों को दूध उपलब्ध करवाने के लिए सरस डेयरी से एमओयू किया गया। इसके तहत सरस डेयरी की ओर से प्रदेशभर में बाल विकास विभाग के कार्यालयों पर ड्राई मिल्क पाऊडर के बैग्स उपलब्ध करवाये गए।
सरस डेयरी की ओर से विगत 25 अक्टूबर को सूरतगढ़ बाल विकास कार्यालय को उसके अधीन संचालित 295 आंगनबाड़ी केन्द्रों व 24 मिनी केन्द्रों पर पंजीकृत नौनिहालों केलिए ड्राई मिल्क पाऊडर के 200 बैग्स उपलब्ध करवाये गए। दो प्रकार के बैग्स में 456 ग्राम व 360 ग्राम के 50-50 मिल्क पाऊच दिये गए हैं।
लेकिन सरस डेयरी की ओर से ड्राई मिल्क पाऊडर बैग्स की सप्लाई से पूर्व ही विधानसभा चुनावों को लेकर आचार संहिता लागू हो गई। ऐसे में बैग्स के वितरण के लिए टेंडर नहीं हो पा रहे हैं। वहीं नियमानुसार विभागीय वाहन का उपयोग केवल दस से पन्द्रह किलोमीटर के दायरे में किया जा सकता है। ऐसे में बैग्स का वितरण अटका हुआ है। वर्तमान में विभागीय कार्यालय में ड्राई मिल्क पाऊडर के 50 बैग्स तथा सरस डेयरी पर 150 बैग्स रखे हैं। इन बैग्स पर उत्पादन तिथि 8 अक्टूबर 2018 अंकित है।
इस ड्राई मिल्क पाऊडर का उपयोग उत्पादन तिथि से नौ माह के भीतर किया जा सकता है। वर्तमान में लागू आचार संहिता के कारण करीब दो माह तक इन बैग्स का वितरण नहीं हो पायेगा।
ऐसे में बच्चों के लिए दूध उपलब्ध होने के बावजूद उनके मुंह तक नहीं पहुंच पा रहा है। यह हाल प्रदेशभर में बाल विकास कार्यालयों पर पहुंचे लाखों ड्राई मिल्क पाऊडर बैग्स का भी है।
मांगे हैं निर्देश आचार संहिता के चलते टेंडर प्रक्रियाएं नहीं हो पा रही हैं। इस कारण दूध के बैग्स का वितरण नहीं कर पा रहे हैं। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत करवाते हुए दिशा-निर्देश मांगे गए हैं।-
-मुकेश तिवाड़ी, बाल विकास अधिकारी, सूरतगढ़।