श्रीगंगानगर. शहर का महाराजा गंगासिंह स्टेडियम के आसपास का इलाका सोमवार देर रात से ही युवाओं से अटने लगा। रात के दो बजते-बजते तो जैसे पैर रखने की जगह नहीं रही। बैरिकेडिंग से लंबा रास्ता तय करने के बाद पहुंचे मुख्य भर्ती स्थल पर जहां सुबह करीब चार बजे दौड़ शुरू होनी थी। सेना ने यहां तमाम व्यवस्थाएं कर रखी थीं।
इसके बाद की राह भी कम कठिन नहीं है। दौड़ में पास होना यानी चयन की गारंटी नहीं है। इसके बाद शुरू होता है बीम बैलेंस, जिगजैग और डिच यानी गड्ढा पार करने का दौर। इन सब दौर में पास हो भी जाएं, तब भी शारीरिक मापदंडों पर खरा उतरना जरूरी है।
इसके लिए अभ्यर्थी की ऊंचाई, भार और सीना नाप लिया जाता है। ये तीनों मापदंड भी यदि सेना के नियमों के अनुरूप हैं तब भी रह जाता है मेडिकल परीक्षण । इन सब के बाद शुरू होता है मेडिकल जांच का दौर।
इस दौर में अभ्यर्थी की बारीकी से जांच होती है, किसी भी स्तर पर कमी पाए जाने पर या तो अभ्यर्थी बाहर का रास्ता देखता है या फिर उसे दुरुस्त होने वाली कमी होने की स्थिति में उच्च स्तर पर जांच के लिए भिजवा दिया जाता है।
इसके बाद लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही सेना में चयन का रास्ता साफ हो पाता है।