उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य के भीतर माल परिवहन पर ई-वे बिल लागू करने वाला 20 वां राज्य बन गया है। मीणा ने बताया कि राज्य के भीतर ई-वे बिल लागू होने से नियमानुसार काम करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा, उनका कारोबार बढ़ेगा साथ ही कर चोरी पर अंकुश लगेगा।
850 वाहनों की हुई जांच
श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में ई-वे बिल को लेकर अभी तक 850 वाहनों की जांच की जा चुकी है। कोई कमी होने पर समझाइश करते हुए आवश्यकताओं की पूर्ति करवाई गई है। विभाग के अनुसार अभी एक वाहन को दस्तावेज नहीं होने के कारण रोका गया है, इस बारे में जांच जारी है।
यह रहेगी व्यवस्था
राज्य के अंदर ई-वे बिल की अनिवार्यता के बाद राज्य के भीतर 50 किलोमीटर तक व्यवहारी से आगे परिवहन के लिए माल ट्रांसपोर्टर के पास बुकिंग के लिए भेजने एवं ट्रांसपोट्र्र्स से माल वापिस व्यवहारी के व्यवसाय स्थल तक पहुंचाने के लिए ई-वे बिल आवश्यक है, उसका बी पार्ट पूर्ण करना आवश्यक नहीं है। ट्रांसपोट्र्र्स के पास माल भेजने के लिए पार्ट बी भरने की बाध्यता नहीं है। यह 50 हजार रुपए तक की कर सहित बिल राशि पर सभी कर योग्य वस्तुओं पर लागू है।
हेल्प डेस्क और सक्रिय
ई-वे बिल संबंधी पूर्व में गठित हेल्प डेस्क और सक्रिय हुई है। श्रीगंगानगर में हेल्प डेस्क के प्रभारी राज्य कर अधिकारी संजय अरोड़ा हैं। हनुमानगढ़ में राज्य कर अधिकारी भीमसिंह, सूरतगढ़ में सहायक आयुक्त कमलराज एवं रायसिंहनगर में राज्य कर अधिकारी वासुदेव शर्मा को यह जिम्मेवारी दी गई है। ये हेल्प डेस्क कार्यदिवस पर कार्यालय समय में काम कर रही हैं।
रखी जा रही है सावधानी
ई-वे बिल में पहले मिली विफलता के बाद पूरी सावधानी रखी जा रही है। जीएसटी काउंसिल के निर्णय की पालना में ई-वे बिल 1 फरवरी से लागू किया गया था लेकिन जीएसटी की साइट सौ घंटे भी नहीं चली और क्रेश हो गई और ई-वे बिल के क्रियान्वयन को आगामी आदेश तक रोक दिया गया। नई व्यवस्था कितनी सफल होगी यह तो समय बताएगा। एक अप्रेल से इंटर-स्टेट लागू की गई अब राज्य में 20 मई इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल लागू किया जा रहा है।