विशिष्ट लोक अभियोजक अजय बलाना ने बताया कि 5 जुलाई 2018 को तत्कालीन सीओ सिटी तुलसीदास पुरोहित को मुखबिर से सूचना मिली कि वीके सिटी स्थित मोटर मार्केट की एक दुकान में नशीली दवाओं को अवैध तरीके से भंडारण किया गया है, यदि वहां दबिश दी जाती है तो भारी तादाद में नशीली दवाइयां मिल सकती है। इस सूचना के आधार पर सीओ सिटी पुरेाहित ने वहां पहुंचे तो दुकान पर ताला लगा हुआ मिला। तब उन्होंने पुलिस अधीक्षक से सर्च वारंट हासिल कर वीडियोग्राफी कराते हुए कारीगर से दुकान का ताल तुड़वाया। इस दुकान के ग्राउण्ड फ़्लोर पर कई ड्रम मिले जबकि चौबारे पर कार्टन में भरी हुई नशीली दवाईयां मिली।
इसमें ट्राइजर साल्ट की साढ़े दस हजार और फोटास्पास साल्ट की 10 हजार 2 सौ गोलियां व 39 कोरक्स सिरप बरामद की। इस दौरान पड़ौसियों और दुकान मालिक पुनीत गोदारा के पिता रणजीत गोदारा ने पुलिस को बताया कि यह दुकान तो राजेश उर्फ राजू को किराये पर पांच साल से किराये पर दी हुई है। इस मामले की जांच जवाहरनगर सीआई प्रशांत कौशिक को सौँपी गई। जांच के दौरान पुलिस को दुकान मालिक पुनीत गोदारा ने राजू को दुकान पर किराये पर देने के संबंध में एक शपथ पत्र भी दिया, इससे पहले दुकान किरायेदार गांव मिर्जेवाला निवासी राजेश उर्फ राजू को गिरफ्तार किया और अदालत में पेश किया। वहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया।
इस आरोपी ने तत्कालीन विशिष्ट लोक अभियोजक केवल कुमार अग्रवाल के माध्यम से अदालत में सीआरपीसी की धारा 319 में दुकान मालिक पुनीत गोदारा को आरोपी बनाने की गुहार लगाई। अदालत में आरोपी राजू का कहना था उसने कभी भी दुकान को किराये पर नहीं ली। उसने पदमपुर की बाबा फाइनेंस कंपनी से एक कार वर्ष 2013 में फाइनेंस पर ली थी, तब एक खाली चेक और एक खाली स्टांप दिया था। किस्तें समय पर जमा नहीं होने पर फाइनेंस कंपनी ने उसकी कार वापस ले ली।
लेकिन स्टांप नहीं दिया। यह स्टांप दुकान मालिक पुनीत के पिता रणजीत गोदारा ने बाबा फाइनेंस कंपनी से हासिल कर लिया। इस खाली स्टांप पर उसके हस्ताक्षर थे। पुनीत ने इस स्टांप पर अपनी मर्जी से किरायेनामा अंकित करवा लिया। इस किरायेनामा में दुकान किराये की अवधि 1 अक्टूबर 2013 से 30 नवम्बर 2018 तक अंकित करवाई, इस पर गवाह सुभाष को बनाया गया। यह स्टांप पदमपुर के वेंडर से खरीदा गया था, उसे किसी भी नोटरी पब्लिक या तहसील से पंजीयन नहीं कराया।
आरोपी राजू का कहना था कि दुकान मालिक गांव 1 डीबीएन ए निवासी पुनीत गोदारा ने तत्कालीन सीओ सिटी पुरोहित, जांच अधिकारी कौशिक, बाबा फाइनेंस पदमपुर और गवाह सुभाष ने मिलकर षडयंत्र रचाकर उसे इस मामले में फंसाया है। यहां तक कि गोदारा और राजू के बीच कभी भी फोन तक नहीं हुए, कॉल डिटेल का जिक्र भी इस प्रार्थना पत्र में किया गया। इन पहलूओं को देखते हुए एनडीपीएस कोर्ट ने दुकान मालिक पुनीत गोदारा के खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए उसे गिरफ्तारी वांरट से तलब करने के आदेश किए है।
किरायेदार आरोपी राजेश उर्फ राजू ने न्यायिक अभिरक्षा के दौरान उसने सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, सीएम, गृहमंत्री, सीआईडी के आला अफसरों को यह शिकायत की थी कि उसे तत्कालीन सीओ सिटी पुरोहित और जांच अधिकारी कौशिक ने दुकान मालिक गोदारा से मिलकर फंसाया है। इस मामले में उसका कोई लेना देना नहीं है। पुलिस अधिकारियों ने दुकान मालिक को बचाने के लिए उसे षडयंत्र रचकर फंसाया है। अदालत ने प्रसंज्ञान लेकर यह भी निर्देश दिए है कि यह कोर्ट एनडीपीएस कानून की धाराओं में दुकान मालिक पुनीत गोदारा को प्रथम दृष्टया दोषी मानती है, आईपीसी की विभिन्न धाराओं जिसमें कूट रचित कर दस्तावेज बनाने और धोखाधड़ी के आरोपों के लिए सैशन कोर्ट का क्षेत्राधिकार है।