फेस्टिवल के फाउंडर डायरेक्टर सुभाष सिंगाठिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि लेखक को अपने लिए नहीं बल्कि पाठक के लिए लिखना चाहिए। उसे वह लिखना चाहिए जो कि लेखक पढ़े और पाठक किसी लिखे हुए साहित्य को तब ही पढ़ेगा जब कि वह अच्छा हो।
उन्होंने कहा कि साहित्य लिखने वाले को सिखाता है तथा पढऩे वाले को बताते है। इस प्रकार वह समाज में ऐसी प्रक्रिया शुरू करता है जो कि लिखने और पढऩेवाले दोनों के हित में होती है। इससे पूर्व विद्यालय की प्राचार्य निम्फिया सूदन ने शिक्षा व्यवस्था से संबंधित जानकारियां दीं। उन्होंने कहा कि विश्व के कई देश ऐसे हैं जिसमें परीक्षा लेने से पूर्व विद्यार्थियों से इसकी आवश्यकता के बारे में चर्चा की जाती है।
इन फिल्मों का किया प्रदर्शन
फिल्म फेस्टिवल के दौरान भारतीय निर्देशक संदीप कुमार की फिल्म महाकुंभ, सुदिप्तो सेन की गुरुजी अहैड ऑफ टाइम, अर्नब मिदोया की अंदरकाहिनी, गुरमीत बराड़ की लघु फिल्म हिजरत,जर्मनी के निर्देशक एस प्लेंटनर की द लिटिल फिश एंड द क्रोकोडाइल, जे मारिया एबरिन सेंटोस की फिल्म लव दैट रिमेन्स, कोसोवो के निर्देशक ए.अलिहाजदराज की फिल्म द रेमिग्रांट,आस्ट्रेलिया के निर्देशक सी. इसेनबर्ग की डार्क सोशल, जे कारासेक की फिल्म डेर ऑस्फ्लग द कैंपिंग ट्रिप, जर्मनी के एन सिंटेंजे की फिल्म डेर मेनमिट डेम फेहरार्ड- द मैन विद बाइसाइकिल, भारतीय फिल्म गुटरगूं सहित देश विदेश की कई फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।
फिल्म फेस्टिवल के दौरान भारतीय निर्देशक संदीप कुमार की फिल्म महाकुंभ, सुदिप्तो सेन की गुरुजी अहैड ऑफ टाइम, अर्नब मिदोया की अंदरकाहिनी, गुरमीत बराड़ की लघु फिल्म हिजरत,जर्मनी के निर्देशक एस प्लेंटनर की द लिटिल फिश एंड द क्रोकोडाइल, जे मारिया एबरिन सेंटोस की फिल्म लव दैट रिमेन्स, कोसोवो के निर्देशक ए.अलिहाजदराज की फिल्म द रेमिग्रांट,आस्ट्रेलिया के निर्देशक सी. इसेनबर्ग की डार्क सोशल, जे कारासेक की फिल्म डेर ऑस्फ्लग द कैंपिंग ट्रिप, जर्मनी के एन सिंटेंजे की फिल्म डेर मेनमिट डेम फेहरार्ड- द मैन विद बाइसाइकिल, भारतीय फिल्म गुटरगूं सहित देश विदेश की कई फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।