‘जागरुकता है सबसे जरूरी, इससे होगी हर आस पूरी’
उद्यानिकी में संभावनाओं, चुनौतियों और प्रबंधन पर सेमिनार शुरू

श्रीगंगानगर. जागरुकता सबसे जरूरी है, इससे ही किसानों को हर आस पूरी होगी। उद्यानिकी में संभावनाओं, चुनौतियों और प्रबंधन पर रविवार को शुरू हुई उद्यान विभाग की दो दिवसीय सेमिनार में वक्ताओं ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी बातें बड़े काम की होती है, इनका ध्यान रखना चाहिए। लापरवाही अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने के समान है।
कृषि अनुसंधान केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. उम्मेदसिंह शेखावत, कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक एएस छिम्पा, उप निदेशक डॉ. जीआर मटोरिया, उद्यान विभाग के सहायक निदेशक अमरसिंह, कृषि अधिकारी प्रीति गर्ग, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके बैरवा, हरियाणा के अमरसिंह पूनियां, कृषि अधिकारी सुशील शर्मा, संजीव भादू आदि ने दिन भर चली सेमिनार में प्रोजेक्टर आदि के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी। प्रगतिशील किसान विनोद भुंवाल ने भी विचार रखे। कुछ किसानों ने कृषि अधिकारी प्रीति गर्ग का उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मान किया। सेमिनार में किसानों की शंकाओं का समाधान भी किया गया।
‘फादर ऑफ किन्नू’ ने आत्महत्याओं का किया जिक्र
क्षेत्र में ‘फादर ऑफ किन्नू’ के नाम से विशिष्ट पहचान रखने वाले वरिष्ठ उद्यानविज्ञ, कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व निदेशक (अनुसंधान) डॉ. एमके कौल ने अपने सम्बोधन में किसानों की आत्महत्याओं का जिक्र किया। उन्होंने उद्यानिकी को अधिक संभावना वाला बताते हुए कहा कि इससे जुड़े किसान अपेक्षाकृत अधिक अच्छी स्थिति में है। किन्नू संबंधी अनेक उपयोगी जानकारियां देते हुए उन्होंने आय-गुणवत्ता बढ़ाने एवं लागत घटाने के टिप्स दिए।
लड़ाई कौन लड़ेगा फसलों के हकदार की...
‘किसी को कुर्सी की चिन्ता, किसी को पाकिस्तान की। मगर लड़ाई कौन लड़ेगा फसलों के हकदार की। सरेआम बाजार में इज्जत लूट जाती है खलिहान की’, ‘इतना सूद चुकाया उसने कि खुद की सुध भूल गया। सावन के मौसम में लगाके झूला, खुद फांसी वो झूल गया। एक अरब पच्चीस करोड़ की भूख जब वो मिटाता है, कहता नहीं किसी से कुछ जब वो भूखा सो जाता है’ जैसी पंक्तियां सेमिनार के दौरान बोली गई साथ ही किसानों को पूरे आत्मविश्वास से नई तकनीक अपनाते हुए आगे बढऩे की अपेक्षा जताई गई।
किसानों को ये दिए प्रमुख सुझाव
विशेषज्ञों ने सेमिनार के दौरान किसानों को अनेक सुझाव दिए। बागों में ट्यूबवैल के पानी से बचने, समय-समय पर मिट्टी-पानी की जांच करवाने, अंदर ट्रैक्टर कम से कम चलाने, नया पौधा लगाते समय गुणवत्ता का ध्यान रखने, लगाने का तरीका सही रखने, जमीन से एक ईंच ऊपर लगाने, जरूरी होने पर दीमक से बचाव के लिए दवाई डालने, नए पौधों को सर्दी से बचाने, किसानों को एक-दूसरे का सहयोग देते हुए आपस में ज्ञान बांटने जैसी अपेक्षा जताई गई।
अब पाइए अपने शहर ( Sri Ganganagar News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज