जेलों में बंद बंदियों को वैसे खेल आदि खेलने का मौका दिया जाता है लेकिन श्रीगंगानगर सेंट्रल जेल करीब पौने दो साल पहले तत्कालीन कलक्टर की ओर से शुरू किए गए शतरंज के खेल में सैकड़ों बंदी लगे हुए हैं। यही नहीं जेल में शतरंज सीखे कई बंदी तो प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं। यहां बंदियों को शतरंज की चालें ऐसी रास आ रही है कि वे दोपहर में समय मिलते ही हॉल में शतरंज लेकर बैठ जाते हैं। जेल अधीक्षक भी बंदियों को शतरंज खेलने के लिए सुविधाएं मुहैया करवा रहे हैं।
बंदियों के गुरु बने ओमप्रकाश अग्रवाल
शतरंज के माहिर ओमप्रकाश अग्रवाल कलक्ट्रेट में कर्मचारी हैं, जो करीब पौने दो साल से जेल के बंदियों को शतरंज में माहिर बना रहे हैं। पहले तत्कालीन कलक्टर के आदेश पर ड्यूटी टाइम में जेल में बंदियों को शतरंज सिखाने जाते थे और अब करीब एक साल से अवकाश के दिन जेल में पूरा समय देते हैं। वे स्वेच्छा से बंदियों को शतरंज सिखाने जाते हैं। जेल में जाते ही बंदी उनको गुरु कहते हैं और शतरंज लेकर हॉल में पहुंच जाते हैं। अग्रवाल का कहना है कि सेवानिवृत्त होने के बाद जितना भी समय मिलेगा जेल में बंदियों के साथ बिताऊंगा।
इनका कहना है
जेल में करीब पौने दो साल से शतरंज सिखाया जा रहा है। मांडेता व अन्य कई बंदी शतरंज के अच्छे खिलाड़ी हैं। इन्हें कलक्ट्रेट के कर्मचारी ओमप्रकाश अग्रवाल शतरंज सिखा रहे हैं। पहले वे पूरा समय देते थे लेकिन अब अवकाश के दिन सिखाते हैं। यहां सैकड़ों बंदी शतरंज खेल रहे हैं। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ रही है।
राजपाल सिंह, जेल अधीक्षक सेंट्रल जेल श्रीगंगानगर।
सीकर गैंग का मांडेता बना शतरंज का मास्टर
जेल में कई साल से बंद सीकर की एक कुख्यात गैंग से जुड़ा मोहनलाल मांडेता शतरंज का मास्टर बन गया है। यहां जेल में शतरंज सिखाने वाले ओमप्रकाश अग्रवाल के साथ ही मांडेता भी बंदियों को शतरंज में माहिर बना रहा है। मांडेता ने पहले शतरंज सीखी और अब वह बंदियों को भी सिखा रहा है। वह स्थानीय स्तर पर हुई कई प्रतियोगिताएं भी जीत चुका है।
मांडेता शतरंज के अलावा योग में भी महारत हासिल कर रहा है। जेल में आकर उसने पूरी लगन से योग व शतरंज सीखा था। अब वह दूसरों को सिखा रहा है। मांडेता हत्या के मामले में जेल में बंद है। मांडेता का कहना है कि इस जेल जैसी कहीं ओर नहीं है। यहां सभी बंदी आपस में सौहार्द से रहते हैं।