पंजाब-हरियाणा पैटर्न से खरीद की मांग राजस्थान के व्यापारी सालों से कर रहे हैं लेकिन इसे नहीं माना जा रहा। इसके अंतर्गत खरीद एजेंसी व्यापारी के बिल पर माल खरीदती है। राजस्थान में गेहूं बेचने वाले किसानों को गिरदावरी, भामाशाह कार्ड, बैंक पास बुक की प्रति आदि कागज देने पड़ते हैं, गिरदावरी के हिसाब से निर्धारित सीमा में माल लिया जाता है। पंजाब में ऐसी किसी औपचारिकता की दरकार नहीं है।
इधर नुकसान, उधर नफा
पंजाब में गेहूं जाने से राजस्थान को नुकसान है। यहां के मजदूरों को मजदूरी का, व्यापारियों को आढ़त का नुकसान है। मंडी समिति को भी मंडी शुल्क के रूप में मिलने वाले राजस्व से हाथ धोना पड़ रहा है जबकि पंजाब में आवक बढऩे से वहां सब बागोबाग हैं। वहां के व्यापारियों को राजस्थान की तुलना में आढ़त अधिक, ढाई रुपए सैकड़ा की मिलती है, इस कारण व्यापारी भी खुश है और मजदूर, मजदूरी मिलने से।
‘राजस्थान में सरकारी खरीद में अव्यवस्था होने के कारण किसान मजबूरी में पंजाब गेहूं ले जा रहे हैं, कमियों को दूर करते हुए सबक लिया जाना चाहिए।
-रणजीत सिंह राजू, संयोजक, गंगानगर किसान समिति
‘किसान जागरूक हैं, उन्हें जहां लाभ लगता है वे वहां माल ले जाते हैं। हरियाणा-पंजाब पैटर्न पर खरीद की मांग को पूरा किया जाना चाहिए।
रमेश खदरिया, अध्यक्ष, दी गंगानगर ट्रेडर्स एसोसिएशन
‘पंजाब में किसानों का हित सर्वोपरि है। अनावश्यक औपचारिकताएं नहीं है। ऐसे में राजस्थान का गेहूं आ रहा है, पंजाब से कई जिन्स राजस्थान भी जाते हैं।
अनिल नागौरी, प्रधान, अबोहर आढ़तिया एसोसिएशन
‘किसान अपना लूज माल कहीं भी ले जाने को स्वतंत्र है, उन पर किसी प्रकार का अंकुश नहीं है। श्रीगंगानगर में खरीद सही चल रही है, कमियां दूर की जाएगी।
शिवसिंह भाटी, संयुक्त निदेशक, कृषि विपणन विभाग