पानी के लिए यहां पास लगा एकमात्र हैंडपंप सहारा है वहीं स्कूल को बिजली मिलती है जेसीटी मिल प्रबंधन की ओर से। बिलकुल सूने में झाड़ झंखाड़ के बीच बने इस स्कूल के आसपास आमतौर पर समाज कंटकों का जमावड़ा रहता है, ऐसे में यहां एक से अधिक बार चोरी हो चुकी है। स्कूल में जब-जब घंटी लगाई यह चोरी हो गई। अब स्कूल प्रबंधन ने घंटी के स्थान पर अपनी आवाज को ही विद्यार्थियों के लिए संकेत बना लिया है। निर्धारित समय के बाद शिक्षक स्वत: ही कालांश बदलकर पीरियड बदलने का संकेत दे देते हैं।
मिल चलती थी, तब का बना था स्कूल
यह स्कूल उस समय स्थापित हुआ जब जेसीटी मिल में उत्पादन हो रहा था। उस समय श्रमिकों के परिवारों के हित में मिल प्रबंधन ने यहां स्थान और भवन उपलब्ध करवाया। इसके साथ ही यहां बिजली का कनेक्शन भी मिल प्रबंधन की ओर से दिया हुआ है। पानी के लिए यहां हैंडपंप से काम चलाना पड़ता है।
सरकार ध्यान दे रही, न मिल प्रबंधन
मिल की भूमि पर स्कूल बना होने से जब भी किसी योजना के तहत यहां पैसा लगाना होता है तो सरकारी तंत्र यह कहकर पीछे हट जाता है कि स्कूल निजी भूमि पर है, वहीं मिल प्रबंधन को अब इस स्कूल को कोई सरोकार नहीं है क्योंकि मिल में उत्पादन बंद है तथा श्रमिकों की कॉलोनी अब यहां नहीं है। ऐसे में श्रमिकों के बच्चे यहां पढ़ते नहीं है। इसके बावजूद मिल प्रबंधन ने विद्यार्थियों का हित देखते हुए बिजली कनेक्शन अपनी ओर से दे रखा है।
चोरी बड़ी परेशानी
स्कूल के आसपास दूर तक बस झाड़ झंखाड़ नजर आते हैं। कभी यहां जेसीटी मिल और इसकी कॉलोनी थी लेकिन अब मिल का भवन ध्वस्त कर दिया गया है। ऐसे में दूर तक बस झाड़ झंखाड़ उग आए हैं। मिल का मुख्यद्वार स्कूल के विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए खोल दिया जाता है। यहां से एक पतली पगडंडी से होते हुए वे स्कूल तक पहुंच जाते हैं, लेकिन स्कूल की छुट्टी के बाद केवल मिल के गेट पर कर्मचारी होता है। वहां से काफी दूर स्थित इस स्कूल के आसपास कोई नहीं होता। ऐसे में दीवारें फांदकर समाज कंटक यहां चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं।