प्रदेश में जयपुर और जोधपुर में इस नेट टेस्ट से रक्त की जांच प्राइवेट नर्सिंग होम में है लेकिन संभाग स्तर पर यह जांच पुरानी व्यवस्था के अनुरूप कराई जा रही है। एक निजी ब्लड बैंक के संचालक डॉ. विष्णु पुरोहित की माने तो इस तकनीक से रोगी के अंदर पनप रहे वायरस को कंट्रोल करने के लिए उपचार जल्द हो जाएगा। इससे गंभीर बीमारी की चपेट में आने वाले रोगियों की जान बचाने के लिए चिकित्सक जल्द उपचार शुरू कर पाएंगे।
इन-इन बीमारियों का यह विंडो पीरियड
ब्लड सैम्पल की समय अवधि इतनी लंबी थी कि जब तक यह रिपोर्ट आती तब तक व्यक्ति के शरीर में वायरस इतना सक्रिय हो जाता था कि उसकी प्रथम स्टेज पार हो जाती थी। ऐसे में रोग का जड़ से उपचार नहीं हो पाता था। एचआईवी बीमारी की 21 दिन, हैपेटाइटस सी की 42 दिन, हैपेटाइट्स बी की 15 दिन में जांच आती थी। लेकिन अब नेट टेस्ट के माध्यम से विंडो पीरियड कम हो जाएगा। एचआईवी की जांच 5 दिन, एचसीवी की जांच 11 दिन और हैपेटाइस बी की जांच महज दो दिन में पूरी हो जाएगी।
उन्हेांने बताया कि पिछले दिनों कनाडा में हुई चिकित्सकों की कॉन्फ्रेंस में नेट टेस्ट से अगला कदम रेडिशयन तकनीक की जानकारी दी गई है, इस रेडिशयन से तत्काल संक्रमण खत्म किया जा सकता है लेकिन यह तकनीक अभी हमारे देश में नहीं आई है। ब्लड बैंकों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की माने तो ब्लड शत-प्रतिशत सुरक्षित नहीं होता है, यह उसी स्थिति में रोगी को चढ़ाया जाना चाहिए जब जीवन बचाने के लिए अंतिम विकल्प हो।