रोडवेज एवं निजी बसों की चालक सीट पर बेल्ट पूरे तौर से गायब हो चुकी है। सुरक्षा के लिहाज से बस ड्राइवरों को सीट बेल्ट लगाकर ही बसें चलानी चाहिए। मगर चालक बिना सीट बेल्ट लगाए बसों को दौड़ा रहे हैं। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस इन पर लगाम लगाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रहा है। निजी बसों के साथ-साथ स्कूली बसों और रोडवेज की बसों में ड्राइविंग सीटों पर सुरक्षा की दृष्टि से लगाए जाने वाले सीट बैल्ट का नामोनिशान तक नहीं है।
हैरानी है कि इस मामले को लेकर दोनों ही विभाग नियमों की पूरे तौर से अनदेखी कर रहे हैं। 1992 के बाद सभी चार पहिया वाहनों में वाहन चालकों व साइड की सीट पर बैल्ट लगाना अनिर्वाय है, जो सीट बैल्ट नहीं लगाते उनके खिलाफ एमवी एक्ट के तहत चालान करने का प्रावधान है। यातायात पुलिस और परिवहन विभाग को याद ही नहीं कि उन्होंने कभी बस चालकों के खिलाफ सीट बैल्ट के मामले को लकर चालान किया हो। कई बार देखने-सुनने में आया है कि हादसे के फौरन बाद चालक सीट बैल्ट का उपयोग न करने के कारण बाहर आ गिरे हैं। बस चालाकों के लिए सीट बैल्ट लगाने की कोई छूट नहीं है।
कई स्कूली बसों में सीट बैल्ट तो लगी है, पर इसके चालक इसका कभी उपयोग नहीं करते। यातायात पुलिस कर्मी कारों को रूकवाकर नियमों की अवहेलना करने पर कार चालकों के तो चालान करते हैं, मगर बसों के खिलाफ वे कोई कार्रवाई अमल में नहीं ला रहे। रोडवेज की बसों में सीटों पर बकायदा बैल्ट लगी हुई है। कुछ ऐसी भी बसें हैं, जहां सीट बैल्ट टूट चुकी है या फिर उसका उपयोग ही नहीं हो रहा। हैरानी यह है कि रोडवेज के अधिकारी भी इस मामले को कतई गंभीर नहीं है। लबी दूरी की निजी बसों में भी कमोबेश यही हालत है। शहरी क्षेत्र में स्कूली बसों में भी ड्राइवरों को बिना सीट बैल्ट के देखा जा सकता है।
‘बस चालक की सीट पर बैल्ट का होना जरूरी है। रोडवेज की बसों की ओर परिवहन विभाग का कभी ध्यान गया ही नहीं। अभियान चलाकर चालकों के खिलाफ एमवी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।’
– जुगलकिशोर माथुर, जिला परिवहन अधिकारी, श्रीगंगानगर।