उपनिदेशक के आदेश में यह भी बताया गया है कि भोजन सामग्री में अनाज, दाल, सब्जी, फल, दूध, मिठाई, अंडे, बिस्कुट, हलवा शामिल हो सकेगा। इसके अलावा बच्चों की ओर से पंसद किए जाने वाले खाद्य पदार्थो की सूची बनाकर भी इच्छुक संस्था के साथ सांझा की जा सकती है।
इस बीच, महिला एवं बाल विकास कर्मचारी संयुक्त महासंघ की जिलाध्यक्ष सीता स्वामी ने इस आदेश पर सवाल उठाया हैं। स्वामी के अनुसार आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों को कोई संस्था खाने में लापरवाही करेगी या संबंधित भोजन खाने से कोई बच्चा बीमार हो जाएगा तो जिम्मेदारी किसकी होगी। इस आदेश से ऐसा लगा रहा है कि सरकार अब आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार देने की बजाय धार्मिक स्थलों या धार्मिक संस्थाओं से याचक की तरह भोजन मांगने की नौबत आ गई है।
इधर, पुरानी आबादी िस्थत स्वामी समाज की धर्मशाला में आंगनबाड़ी केन्द्र की महिलाओं की बैठक जिलाध्यक्ष सीता स्वामी की अगुवाई में हुई। इसमें पिछले दो माह से बकाया मानदेय, पिछले छह माह से कोविड प्रोत्साहन राशि अटकाने, पोषण ट्रेकर के लिए स्मार्ट फोन सुविधा के अलावा धार्मिक स्थलों से पोषाहार की व्यवस्था के आदेश आदि को लेकर सोमवार को पूरे जिले की आंगनबाड़ी केन्द्र बंद कर कलक्ट्रेट के समक्ष धरना देने का प्रस्ताव पारित किया गया।