परीक्षा से दुगुना हुआ दबाव
राज्य भर में सीबीएसई और आरबीएसई ने बचे हुए विषयों की समय सारणी जारी होने के बाद विद्यार्थियों और अभिभावकों पर शिक्षण का दबाव और अधिक बढ़ गया है। कोरोना के भय के बीच परीक्षा देने जाना विद्यार्थियों को मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित कर रहा है।
संसाधनों का अभाव बड़ी बाधा प्रदेश में प्रत्येक जिले के विद्यार्थियों के पास संसाधनों का नितान्त अभाव है। बहुत से अभिभावक ऐसे है जिनके पास मोबाइल, इंटरनेट, रेडियो और टीवी इनमें से एक भी संसाधन अध्ययन के लिए नहीं है। ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों के लिए संसाधन जुटाने के लिए भी चिंतित हैं। सहपाठियों से पढ़ाई में पिछडऩे का भय भी इन बच्चों के लिए संकट बना हुआ है।
ऑनलाइन पद्धति में ज्ञान का सीमित विकास
शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास करना है जो कि ऑनलाइन पद्धति में एक सीमा तक ही संभव है। इसमें पुस्तकीय और सैद्धांतिक ज्ञान तो हासिल होता है लेकिन व्यावहारिक ज्ञान से अपेक्षाकृत वंचित ही रहते हैं। विज्ञान, गणित, प्रौद्योगिकी और मेडिकल जैसे विषयों की पढ़ाई तो प्रयोग और व्यावहारिक जानकारी के बिना न तो मुमकिन होगी और न ही मुक्कमल।
फैक्ट फाइल
(यूडाइस-2019 डाटा के अनुसार) राज्य में कुल विद्यालय-105674
राज्य में कुल विद्यार्थी-16445148 गंगानगर जिले ने कुल विद्यालय-3019
गंगानगर जिले में कुल विद्यार्थी-408826 हनुमानगढ़ जिले में कुल विद्यालय-2057
हनुमानगढ़ में कुल विद्यार्थी-384014 ये बोले अभिभावक
वर्तमान परिदृश्य में ऑनलाइन शिक्षण के कारण बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। सारा दिन बच्चों पर नजर रखनी पड़ती हैं। खुद का मोबाइल ज्यादातर बच्चों के पास रहता है,जिससे अपने काम प्रभावित हो रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षण मजबूरी है समाधान नहीं।
– वीना रानी गोठवाल,अभिभावक,जनता कॉलोनी श्रीगंगानगर पहले बच्चों को मोबाइल से दूर रखते थे पर अब स्कूल की सारी पढ़ाई फोन और टीवी पर होने के कारण बच्चों को मना भी नहीं कर पाते। बच्चों की आंखों पर आ रहे बुरे असर से कारण चिंता होती है
-सोनिया यादव, अभिभावक, न्यू प्रेम नगर, श्रीगंगानगर। एक्सपर्ट व्यू–विद्यार्थी सेवा केंद्र शिक्षा विभाग श्रीगंगानगर के सह संयोजक भूपेश शर्मा का कहना है कि कोरोना काल में शिक्षण व्यवस्था को एक नया विकल्प मिला है। विद्यार्थियों के पास उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखते हुए ही विभाग ने स्माइल, शिक्षावाणी, शिक्षा दर्शन जैसे कार्यक्रम शुरू कर रखे हैं। अभिभावकों की देखरेख में बच्चों को मोबाइल व लेपटॉप का विवेकपूर्ण प्रयोग करना जरूरी है। परंपरागत कक्षीय शिक्षा के साथ-2 वर्तमान समय के अनुसार शिक्षा का डिजीटल प्लेटफॉर्म बेहद उपयोगी है।