चीन और पाकिस्तान के बुने इस जाल से अनजान युवा व अन्य लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। ऐप से हर उम्र के लोग एक दूसरे से वीडियो कॉलिंग करते हैं और सोशल साइट की मदद से एक दूसरे के दोस्त बनते हैं। इसी के साथ शुरू होता है मीठी-मीठी बातों में देश से जुड़ी अहम जानकारियां जुटाने का खेल। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां इसीलिए बॉर्डर एरिया से ऐप का इस्तेमाल हनी ट्रैप के रूप में कर रही हैं।
एेसे फंसाती हैं जाल में:
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के लिए काम करने वाली लड़कियां पहले तो सीमावर्ती लोगों से चैट करती हैं। बाद में लड़कियां मौका पाते ही ऐसा वीडियो बना लेती है जिसका इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए होता है। इसके बाद व्यक्ति से मनमाफिक सूचनाएं लेने का खेल शुरू होता है।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के लिए काम करने वाली लड़कियां पहले तो सीमावर्ती लोगों से चैट करती हैं। बाद में लड़कियां मौका पाते ही ऐसा वीडियो बना लेती है जिसका इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए होता है। इसके बाद व्यक्ति से मनमाफिक सूचनाएं लेने का खेल शुरू होता है।
सामरिक महत्व की जानकारी जुटाने के लिए सोशल मीडिया पर बार-बार जगह बदली जाती है। खुफिया जानकारी या फोटो लेने के लिए वाट्सऐप और फेसबुक का भी इस्तेमाल होता है। साइबर एक्सपर्ट धर्मवीर कूकणा बताते हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां बिगो ऐप से बॉर्डर एरिया में टारगेट तलाश रही हैं। ऐसे में लोगों को ऐप के इस्तेमाल में सावधानी बरतनी होगी।
वर्दी वालों को पहले प्राथमिकता
सूचनाएं जुटाने के लिए लड़कियां बिगो ऐप की उन प्रोफाइल को अपने जाल में फंसाने की अधिक कोशिश करती हैं जिनकी फोटो वर्दी में होती है। अपनी बातों में फंसाने के बाद वे गोपनीय जानकारियां निकाल लेती हैं।
सूचनाएं जुटाने के लिए लड़कियां बिगो ऐप की उन प्रोफाइल को अपने जाल में फंसाने की अधिक कोशिश करती हैं जिनकी फोटो वर्दी में होती है। अपनी बातों में फंसाने के बाद वे गोपनीय जानकारियां निकाल लेती हैं।
फोटो- प्रतीकात्मक तस्वीर