शहर के पचास में से बाइस वार्डो की सफाई ठेके फर्म की ओर से कराई जा रही थी, लेकिन यह ठेका समाप्त हो चुका है। ऐसे में ठेका दुबारा होने तक नगर परिषद प्रशासन ने मौजूदा वार्ड के सफाई कर्मियों को दूसरे वार्डो में डयूटी लगाई ताकि एक समान रूप से सफाई हो सके। लेकिन अपने वार्ड छोडकऱ दूसरे वार्ड में जाने से अधिकांश कार्मिकों ने इंकार कर दिया।
यहां तक कि बाइस सफाई निरीक्षकों को भी उनके मूल पद पर सफाई के लिए भेजा गया तो पूरी व्यवस्था विफल हो गई। इन निरीक्षकों में से कई सिफारिश के आधार पर लगे है तो संबंधित जनप्रतिनिधियों ने भी दूसरे वार्डो में सफाई कराने से इंकार कर दिया। इस कशमकश के बीच आयुक्त प्रियंका बुडानिया ने स्वास्थ्य अधिकारी देवेन्द्र प्रताप सिंह की बजाय गौतमलाल को बना दिया। लेकिन गौतमलाल के हाथ खड़े होने के बाद अब राजकुमार को नया स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर लगाया है। जब इस नए स्वास्थ्य अधिकारी ने दो वार्डो में सफाई कर्मियों की हाजिरी की जांच की तो वहां 42 में से 20 कार्मिक फरलो पर मिले थे, अन्य वार्डो की जांच की प्रक्रिया रोक दी गई।
इधर, नगर परिषद प्रशासन ने पिछले पांच दिन में तीसरी बार सफाई कर्मियों की उठापटक की सूची तैयार की है। इधर, नगर परिषद में सफाई कार्मिकों को एक से दूसरे वार्ड में काम करने के आदेश किए जा रहे है लेकिन पिछले चार महीने से नालों की सफाई बंद कर दी है। ऐसे में जवाहरनगर इंदिरा वाटिका, शिव चौक के पास, भगतसिंह चौक के पास, मीरा चौक के पास, सुखाडिय़ा सर्किल के पास, राजकीय जिला चिकित्सालय के सामने, उधमसिंह चौक के पास, ताराचंद वाटिका के पास, पुरानी आबादी माइक्रो टावर के पास भी मुख्य नालों में इतनी सिल्ट जमी है कि वहां से पानी की निकासी भी प्रभावित हो गई है।
नगर परिषद ने नालों को साफ कराने वाली नाला गैँग को समाप्त कर उसमें कार्यरत सफाई कर्मियों को अलग अलग वार्डो में भेज दिया है।
इस बीच नगर परिषद सभापति अजय चांडक का कहना है कि सफाई ठेके समाप्त होने के बाद नया ठेका अब तक नहीं हो पाया है। ऐसे में अधिक समस्य आई है।
लेकिन वैकल्पिक तौर पर मौजूदा वार्ड के कार्मिकों को उन वार्डो में सफाई की जिम्मेदारी दी जा रही है जहां सफाई ठेका था। जो कार्मिक डयूटी नहीं देंगे उनके खिलाफ सख्त अनुशात्मक कार्रवाई की जाएगी।