शहर में करीब दस-पंद्रह दिन पहले हुई बारिश का पानी कई दिनों तक रविन्द्र पथ पर दुकानों के बाहर जमा रहा। इसके चलते चार दिन पहले दुकानदारों व पार्षद सहित अन्य लोगों ने रविन्द्र पथ पर धरना दिया और रोड जाम कर दिया था। इसके बाद नगरपरिषद ने वहां टैंकर लगाकर पानी निकासी के प्रयास किए लेकिन पानी नहीं निकल पाया।
बस व अन्य भारी वाहन भी नहीं किए डायर्वट
– एक तरफ जहां नगरपरिषद की ओर से नाला सफाई का शुरू कराया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ यहां पुलिस की ओर से ट्रेफिक भी डायवर्ट नहीं कराया गया है। रविन्द्र पथ पर एक रास्ता बंद होने के कारण एक तरफ से वाहनों को निकाला जा रहा है। जिससे यहां जाम की स्थिति बन गई है।
ट्रेफिक पुलिस चुनाव में, व्यवस्था बिगड़ी
– पंचायत चुनाव में पुलिसकर्मियों की ड्यूटियां लगी है, जिसमें ट्रेफिक पुलिसकर्मियों को भेजा गया है। इसके चलते शहर में ट्रेफिक व्यवस्था भी बिगड़ रही है। सोमवार को रविन्द्र पथ पर भीड़ अधिक होने के कारण बार-बार जाम लगता रहा। मंगलवार को कुछ ट्रेफिककर्मी लगाए गए लेकिन रोड पर खड़े वाहनों को भी नहीं हटाया जा सका। यहां ट्रेफिक पुलिसकर्मी पुलिस जीप में लाउडस्पीकर पर वाहन हटाने के लिए बोलते हुए चलते रहे लेकिन वहां से एक भी वाहन नहीं हट पाया।
शाम को हटवाए वाहन व सुचारु किया ट्रेफिक
– रविन्द्र पथ पर दोपहर को जाम की स्थिति बार-बार होने के कारण शाम को सीओ सिटी इस्माइल खान व यातायात प्रभारी कुलदीप सिंह मय जाब्ते के रविन्द्र पथ पर ट्रेफिक व्यवस्था में सुधार के लिए चार घंटे तक तैनात रहे। यहां वाहनों को हटवाकर कतार से निकलवाया गया। जब जाकर यातायात व्यवस्था सुचारु हुई।
इनका कहना है
– रविन्द्र पथ पर नगरपरिषद की ओर से नाला सफाई चल रही है लेकिन दो दिन से यहां काम रुका हुआ है। इसके चलते एक तरफ से वाहनों को निकाला जा रहा है। इससे ट्रेफिक व्यवस्था गड़बड़ा गई है। शाम को वाहनों को हटवाकर व्यवस्था कराई गई।
कुलदीप सिंह, यातायात प्रभारी श्रीगंगानगर।
टिप्पणी–महेंद्रसिंह शेखावत
नगर परिषद की ओर से एक नाले के प्रति लंबे से की गई उपेक्षा का दंश अब शहर का वो हर वाहन चालक भोग रहा है, जो मटका चौक से गोलबाजार तक की रोड से गुजर रहा है। लोगों की मानंे तो लंबे समय से इस नाले की सफाई ही नहीं हुई या कभी हुई तो सफाई के नाम पर औपचारिकता ही ज्यादा बरती गई। पानी रुककर जब संडा़ध मारने लगा तो फिर दुकानदारों का धैर्य जवाब देना ही था। अपनी पीड़ा के लिए उनको सड़कों पर उतरना पड़ा। आखिकार उनके विरोध के आगे नगर परिषद अमले को झुकना पड़ा और आनन-फानन में नाले की सफाई का काम शुरू करवाया। रविवार को नाले की सफाई के काम की वजह से यातायात को कुछ दूरी पर डायवर्ट किया गया। सोमवार व मंगलवार को भी यातायात डायवर्ट रहा लेकिन काम बंद है। तीन दिन से यातायात प्रभावित है लेकिन नाले की सुध लेने में उदासीनता बरती जा रही है। वैसे भी रवीन्द्र पथ शहर का सबसे व्यस्तम मार्ग है। विशेष इस मार्ग पर बने सभी चौराहों पर वाहनों की रेलमपेल इतनी है कि दिन भर जाम लगता ही रहता है। यातायात पुलिसकर्मियासें की लाख मशक्कत के बावजूद व्यवस्था पटरी पर नहीं आती। अब नाले का मलबा होने के कारण जाम ज्यादा लग रहा है। वाहन चालक वाहन दिन भर जाम में फंस रहे हैं। काम जहां रुका था, अभी वह उसी स्थिति में है।
परिषद के जिम्मेदारों की अक्सर यह आदत रही है कि वे हरकत में तभी आते हैं जब कोई विरोध या प्रदर्शन करता है। क्या उसे तीन दिन से जाम में फंसे वाहन चालकों की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं? क्या जाम में फंसे वाहनों की लंबी कतार जिम्मेदारों को दिखाई नहीं देती? क्यों तीन दिन से आवागमन प्रभावित है? इन तमाम बातों को लेकर कोई गंभीरता नहीं बरती जा रही है। जाम में फंसने का दर्द वो ही जानता है जिसने यह दर्द भोगा है। या फिर इन जिम्मेदारों की आंख तभी खुलेगी जब इस काम के लिए भी लोग प्रदर्शन पर उतरेंगे? आवागमन सुगम हो। वाहन आसानी से आए-जाएं। किसी तरह का कोई जाम न लगे। इसके लिए नगर परिषद को यह काम तत्काल शुरू करवाना चाहिए। जनता से जुड़े इस मामले में ज्यादा उदासीनता अब उचित नहीं।