नगर परिषद भवन की चारदीवारी के बाहर दुकानों और रेहडि़यों पर सरेआम पर प्लास्टिक की थैलियों की बिक्री और इस्तेमाल का दौर चल रहा है। डीएलबी के आदेश के बावजूद नगर परिषद की ओर से जारी होने वाले जन्म- मृत्यु प्रमाण पत्र, विवाह पंजीयन, स्ट्रीट वैंडर्स प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जन आधार कार्ड, इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गांरटी योजना के जॉब कार्ड जैसे दस्तावेजों पर नो प्लास्टिक के प्रचार प्रसार के संबंधित स्लोगन तक अंकित नहीं करवाए गए है।
इधर, स्वायत् शासन विभाग जयपुर ने प्लास्टिक की बिक्री, भंडारण और इस्तेमाल रोकने के आदेश जारी किए। प्लास्टिक की बिक्री रोकने के लिए सामूहिक टीमें बनाने के लिए सीख दी गई। डीएलबी निदेशक की ओर से जारी आदेश के अनुसार केन्द्र सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु पर्यावरण मंत्रालय के राष्ट्रीय स्तर पर शासन सचिव की अध्यक्षता में गठित नेशनल टास्क फोर्स की बैठक में भी अधिसूचना जारी कर एकल प्रयोग प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध के लिए नगरीय निकायों द्वारा सक्रिय रूप से कार्रवाई किए जाने के लिए निर्देशित किया था। एक जुलाई से नगरीय निकायों की ओर से जारी होने वाले जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, विवाह प्रमाण पत्र, भवन निर्माण स्वीकृति पत्र, अनापत्ति प्रमाण पत्र, लाइसेंस आदि के पत्रों पर सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को रोके जाने के संबंधित प्रचार प्रसार के लिए स्लोगन लिखे जाएंगे। अलग अलग वर्कशॉप और कार्यशाला के माध्यम से जागरूकता की जा सकेगा।
इस बीच, प्रदेश भर में एक जुलाई से एकल प्रयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध से श्रीगंगानगर शहर को काफी हद तक प्लास्टिक कचरे से मुक्ति मिल सकती थी। शहर के 65 वार्डों के अलावा आसपास की कॉलोनियों से करीब औसतन 100 कचरा रोजाना जिला मुख्यालय से सटे चक 6 जैड के डंपिंग प्वांइट पर डाला जा रहा है। इस कारण वहां कचरे के ढेर लगे गए है। प्लास्टिक का कचरा निस्तारण नहीं होने के कारण वहां कचरे का पहाड़ सा बनता जा रहा है। इस कचरे के ढेर को शिफट करने के लिए पिछले दिनों ग्रामीणों ने धरना लगाकर शहर से कचरा उठाव की प्रक्रिया रोक दी थी। हालांकि प्लांट तक नहीं लग पाया है लेकिन वहां थ्रेसर मशीन से इस प्लास्टिक कचरे के निस्तारण में प्रयास अभी कागजों में किए जा रहे है।