scriptराधेश्याम के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों नहीं जीती | Congress and BJP have not won both after Radhey Shyam | Patrika News

राधेश्याम के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों नहीं जीती

locationश्री गंगानगरPublished: Dec 14, 2018 01:02:25 pm

Submitted by:

Rajaender pal nikka

https://www.patrika.com/sri-ganganagar-news/

election 2018

राधेश्याम के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों नहीं जीती

कांग्रेस 1998 और भाजपा 2008 में जीतने के बाद हाशिये पर

श्रीगंगानगर. विधानसभा चुनाव में मात्र 2318 वोट लेकर सातवें स्थान पर रहे राधेश्याम गंगानगर का राजनीतिक सितारा भले ही अस्त हो गया हो। इस चुनाव तक कांग्रेस और भाजपा को इस विधानसभा क्षेत्र में आखिरी बार जीत का स्वाद चखाने का सेहरा अभी तक तो उनके सिर पर है। यह सेहरा आगामी विधानसभा चुनाव तक उन्हीं के सिर पर रहेगा। कांग्रेस इस विधानसभा क्षेत्र से 1998 के बाद नहीं जीती।
तब राधेश्याम गंगानगर ने निर्दलीय सुरेन्द्र सिंह राठौड़ को हराया था। राधेश्याम को 40395 (42.05 प्रतिशत) तथा सुरेन्द्र सिंह राठौड़ को 33808 (35.20 प्रतिशत) मत मिले थे। इस चुनाव में भाजपा के महेश पेड़ीवाल को 18888 (19.66 प्रतिशत) मत ही मिले थे। 2003 के विधानसभा चुनाव में गंगानगर की राजनीति में बड़ा परिवर्तन आया। दो बार चुनाव हार चुके सुरेन्द्र सिंह राठौड़ ने भाजपा का दामन थाम चुनाव लड़ा और पहली बार कमल खिलाने में कामयाब रहे।
राठौड़ ने यह चुनाव 70062 (65.40 प्रतिशत) मत लेकर जीता। इस चुनाव में तीसरी बार उनके प्रतिद्वन्द्वी रहे कांग्रेस के राधेश्याम गंगानगर को 34140 (30.83 प्रतिशत) मत मिले। विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद 2008 में हुए चुनाव के समय राठौड़ भाजपा से दूर हो चुके थे और राधेश्याम गंगानगर को कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने के आसार बने हुए थे। तमाम प्रयासों के बाद कांग्रेस की टिकट कटने पर राधेश्याम गंगानगर ने ऐन वक्त पर पाला बदला और भाजपा की टिकट लेने में कामयाब रहे।
इस चुनाव में उन्होंने 48453 (41.04 प्रतिशत) मत लेकर जीत हासिल की।
उनके प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस के राजकुमार गौड़ को 36404 (30.83 प्रतिशत) मिले।

कहानी तो बन ही गई
कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों से विधायक रह चुके राधेश्याम गंगानगर की राजनीतिक पारी 2018 के चुनाव तक एक कहानी तो बन ही गई है। यह चुनाव उन्होंने निर्दलीय लड़ा। उनकी हार के साथ-साथ उन पार्टियोंं की भी तो हार हुई जिनके साथ वह जुड़े रहे।
कांग्रेस 1998 के बाद इस विधानसभा क्षेत्र से लगातार पराजय का मुंह देख रही है। भाजपा ने 2018 में देख लिया। जीत का सेहरा राजकुमार गौड़ के सिर बंधा जो टिकट नहीं मिलने पर जनता की आवाज पर निर्दलीय मैदान में उतरे और कांग्रेस व भाजपा दोनों पर भारी पड़े।
दूसरी बार पराजय
भाजपा में आकर राधेश्याम गंगानगर ने पहला चुनाव तो आसानी से जीत लिया। लेकिन 2013 के चुनाव में नई पार्टी के नए चेहरे कामिनी जिंदल ने उन्हें पराजित कर दिया। इस हार के बाद भाजपा का उनसे मोह भंग हो गया। शायद इसका एहसास राधेश्याम गंगानगर को भी 2018 के चुनाव से पहले हो गया था, सो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी।
चार बार इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत चुके इस राजनीतिज्ञ का हो सकता है यह कोई राजनीतिक पंच था। लेकिन यह पंच कारगर साबित नहीं हुआ। विकास दूत के नाम से पहचान बनाने वाले राधेश्याम गंगानगर को आखिरी चुनाव ऐसी कड़वाहट दे गया है जो जीवन भर उनके राजनीतिक अनुभव के जायके को बिगाड़े रखेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो