यही वजह रही है कि अनूपगढ़ और घड़साना क्षेत्र में भ्रष्टाचार की विषबेला पनपने के बावजूद जांच अधिकारी भी मूक दर्शक बन गए। इस ग्राम विकास अधिकारी को घड़साना क्षेत्र की 10 ग्राम पंचायतों में काम करने का मौका मिला, जिस-जिस ग्राम पंचायत में वह गया वहां-वहां निर्माण और मनरेगा मजदूरी के नाम से कथित भ्रष्टाचार के मामले उठने लगे। शिकायतों के बाद जांच भी हुई लेकिन जांच पूरी होने से पहले ही संबंधित जांच अधिकारियों के तबादले हो गए।
विधायक की टिकट की फिराक में
वर्ष 1995 में राज्य सरकार ने चुंगी पर लगे कार्मिकों का स्थानीय निकायों और ग्राम पंचायतों में समायोजन किया था। रावला क्षेत्र में सरगरा चुंगी कार्मिक से ग्राम सेवक के पद पर लग गया। वह मूल रूप से जोधपुर के बिलाड़ा क्षेत्र का रहने वाला है। उसने पिछले बाईस साल में इतनी संपत्तियां अर्जित कर ली कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में बिलाड़ा विधानसभा से विधायक टिकट लेने का प्रयास कर रहा है। उसकी पत्नी सरोज घड़साना क्षेत्र से पंचायत समिति डायरेक्टर रह चुकी है। उसकी पत्नी रावला से दो बार सरपंच का चुनाव भी लड़ी परन्तु सफलता नहीं मिली।
पेयजल पाइप लाइन और सीसी रोड निर्माण में घोटाला
घड़साना क्षेत्र गांव 24 एएसपी में पेयजल पाइप लाइन घोटाले में ग्राम सचिव सरगरा और तत्कालीन सरपंच का नाम आया था। बीकानेर की जांच टीम ने इसमें 10 लाख 21 हजार रुपए का घोटाला बताया। लेकिन जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होती उससे पहले कोर्ट से स्टे मिल गया। जिला परिषद डायरेक्टर विष्णु भांभू ने बताया कि घड़साना क्षेत्र विधायक कोटे में हुए निर्माण कार्यो में घोटाले की शिकायत हुई थी।
घड़साना क्षेत्र गांव 24 एएसपी में पेयजल पाइप लाइन घोटाले में ग्राम सचिव सरगरा और तत्कालीन सरपंच का नाम आया था। बीकानेर की जांच टीम ने इसमें 10 लाख 21 हजार रुपए का घोटाला बताया। लेकिन जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होती उससे पहले कोर्ट से स्टे मिल गया। जिला परिषद डायरेक्टर विष्णु भांभू ने बताया कि घड़साना क्षेत्र विधायक कोटे में हुए निर्माण कार्यो में घोटाले की शिकायत हुई थी।
वित्तीय वर्ष 2015-2016 के दौरान घड़साना एरिया में 88 लाख रुपए के बजट से सीसी सड़कें बनाई थी, इसमें गुणवत्ताहीन निर्माण की शिकायत पर पीडब्ल्यूडी की जांच टीम ने सभी सीसी सड़कों को नाकारा घोषित कर दिया। जांच टीम ने ग्राम विकास अधिकारी सरगरा के अलावा तत्कालीन एईएन करणी सिंह को भी घटिया निर्माण का दोषी माना था। एईएन फिलहाल हनुमानगढ जिले के टिब्बी पंचायत समिति में विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत है। इस मामले में घड़साना थाने में एफआईआर दर्ज हो चुकी है लेकिन जांच अब तक नहीं हो पाई है।
आचार संहिता प्रकरण में 26 लाख का गबन
भांभू का कहना था कि वर्ष 2013 में जब आचार संहिता लागू हो चुकी थी कि तब गांव 24 एएस में 29 निर्माण कार्यों पर 75 लाख 3 हजार रुपए खर्च कर दिए गए। डायरेक्टर के इस मामले की जांच के लिए जिला परिषद के मनरेगा एक्सईएन प्रेमप्रकाश अग्रवाल और सहायक लेखाधिकारी मनोज कुमार मोदी ने जांच की थी, इस जांच टीम ने 26 लाख 93 हजार रुपए का गबन माना। इस मामले में कार्रवाई के लिए पंचायत समिति प्रधान रानी दुग्गल ने ग्राम विकास अधिकारी सरगरा के खिलाफ कार्रवाई के लिए तीन बार पत्र व्यवहार किया परन्तु आज तक कार्रवाई नहीं हुई।
भांभू का कहना था कि वर्ष 2013 में जब आचार संहिता लागू हो चुकी थी कि तब गांव 24 एएस में 29 निर्माण कार्यों पर 75 लाख 3 हजार रुपए खर्च कर दिए गए। डायरेक्टर के इस मामले की जांच के लिए जिला परिषद के मनरेगा एक्सईएन प्रेमप्रकाश अग्रवाल और सहायक लेखाधिकारी मनोज कुमार मोदी ने जांच की थी, इस जांच टीम ने 26 लाख 93 हजार रुपए का गबन माना। इस मामले में कार्रवाई के लिए पंचायत समिति प्रधान रानी दुग्गल ने ग्राम विकास अधिकारी सरगरा के खिलाफ कार्रवाई के लिए तीन बार पत्र व्यवहार किया परन्तु आज तक कार्रवाई नहीं हुई।
सरगरा राज रहा हावी : 10 में 9 सरपंच महिलएं
ग्राम सेवक सरगरा ने पिछले चार साल में घड़साना क्षेत्र की 10 ग्राम पंचायतों में डयूटी की। दस में से नौ तो महिला सरपंच थी, इसमें से सात तो एससी-एसटी वर्ग की महिला सरपंच थी। दस में से सात महिला सरपंच निरक्षर या साक्षर ही थी, ऐसे में वहां सरगरा राज हावी रहा।
ग्राम सेवक सरगरा ने पिछले चार साल में घड़साना क्षेत्र की 10 ग्राम पंचायतों में डयूटी की। दस में से नौ तो महिला सरपंच थी, इसमें से सात तो एससी-एसटी वर्ग की महिला सरपंच थी। दस में से सात महिला सरपंच निरक्षर या साक्षर ही थी, ऐसे में वहां सरगरा राज हावी रहा।