यहां तक कि कचरे उठाव की ट्रॉलियां भी नहीं पहुंची। वहीं डोर टू डोर कचरा संग्रहित करने वाले आटो और ट्रिपर वाहन भी नहीं पहुंचे। सफाई व्यवस्था ठप होने से शहर के सभी कचरा पात्रों में कचरे से भर चुके थे और लोग गदंगी कचरा पात्र के पास फेंकने को मजबूर हुए। वहीं आवारा पशुओं के जमावड़े ने क्लीन सिटी मुहिम की हकीकत बयां कर दी।
इधर, नगर परिषद परिसर में बुधवार सुबह से लेकर शाम तक सहमति की बैठकों का दौर चला। आखिर में शाम छह को नगर परिषद आयुक्त प्रियंका बुडानिया और अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस के पदाधिकारियों में सुलह बनी।
इसमें 11 सूत्री मांग पत्र को पूरा करने का आश्वासन दिया गया। इस दौरान पूर्व सभापति श्यामलाल धारीवाल, यूनियन अध्यक्ष उमेश वाल्मीकि, जिलाध्यक्ष दीपक चांवरिया, संयोजक अनिल धारीवाल, महामंत्री समीर वाल्मीकि, बसंत सारवान, सुभाष जांदू, लालूराम चावंरिया, संजय सरबटा, पार्षदों बंटी वाल्मीकि, रोहित बागड़ी, बलजीत बेदी, जगदीश घोड़ेला, सुशील कुमार, प्रेमचंद भाटिया, रामशरण कोचर, महेन्द्र बागड़ी, उपसभापति लोकेश मनचंदा आदि शामिल हुए।
आयुक्त प्रियंका बुडानिया पिछले पांच दिन से अवकाश पर थी, ऐसे में जब वे बुधवार आई तो हड़ताल करने के संबंध में सख्त कदम उठाने की नसीहत दी। इस पर बीच बचाव का रास्ता पार्षद बंटी वाल्मीकि और महेन्द्र बागड़ी ने अपनाया।
इन दोनों ने यूनियन पदाधिकारियों के साथ धरना स्थल पर जाकर सुलह कराने का वार्ता का दौर शुरू करवाया, लेकिन अध्यक्ष उमेश वाल्मीकि जब सभापति की मौजूदगी में वार्ता करने पर अड़े तो उनकी मांग को इंकार कर दिया, वार्ताकारों की समझाइश पर अध्यक्ष ने भी अपनी जिद्द छोड़ दी। शाम को लिखित में समझौता होने के बाद आयुक्त ने धरना स्थल पर आकर भेदभाव भूलाकर शहरहित में सफाई कार्य करने की सलाह दी।
आयुक्त ने बताया कि अब गुरुवार को सभी कार्मिक सफाई कार्य करेंगे। वहीं कचरे का उठाव कराया जाएगा। इससे पहले धरना स्थल पर नगर परिषद प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी का दौर चला।