ऐसे में दूसरी साइड में वाहनों की आवाजाही के लिए यह रास्ता खोल रखा है। लेकिन इस दूसरे साइड की सडक़ भी इतनी जर्जर हो चुकी है कि यहां दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। सुखाडिय़ा सर्किल पर यातायात पुलिस ने दुपहिया वाहनों के खिलाफ चालान करने में अधिक व्यस्त नजर आती है। सुखाडिय़ा मार्ग पर वाहनों की भीड़ से यहां ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ चुकी है। रही कही कसर ठेकेदार ने मनमर्जी से खुदाई से पूरी कर दी है। राहगीरों और वाहनों की सुविधा के लिए वहां सांकेतिक बोर्ड तक नहीं लगाए हैं।
वहीं हाउससिंग बोर्ड और रविदासनगर जैसी कॉलोनियों के लिए आवाजाही ठप हो गई है। दूसरी साइड में भी ठेकेदार और सीवर ठेका कंपनी ने खुदाई अपनी मनमर्जी से खोद कर वहां से पूरी ट्रैफिक व्यवस्था को बिगाड़ दिया है। इस रोड से रोजाना करीब बीस हजार से अधिक वाहनों की आवाजाही रहती है। लेकिन पुलिस प्रशासन ने एक भी ट्रैफिक की व्यवस्था तक नहीं की है।
आचार संहिता की आड़ में लगी मौज
आरएसआरडीसी ने सूरतगढ़ की ठेका फर्म गुप्ता कंस्ट्रक्शन को यह ठेका कार्य 19 सितम्बर 18 से 16 जनवरी 19 तक समय अवधि के लिए निर्धारित किया। करीब साढ़े बारह करोड़ रुपए के बजट होने के बावजूद उसकी गुणवत्ता के संबंध में पीडब्ल्यूडी, नगर परिषद और नगर विकास न्यास प्रशासन का हस्तक्षेप नहीं है।
आरएसआरडीसी ने सूरतगढ़ की ठेका फर्म गुप्ता कंस्ट्रक्शन को यह ठेका कार्य 19 सितम्बर 18 से 16 जनवरी 19 तक समय अवधि के लिए निर्धारित किया। करीब साढ़े बारह करोड़ रुपए के बजट होने के बावजूद उसकी गुणवत्ता के संबंध में पीडब्ल्यूडी, नगर परिषद और नगर विकास न्यास प्रशासन का हस्तक्षेप नहीं है।
आचार संहिता की आड़ में ठेकेदार को मौज लगी है। सांकेतिक बोर्ड तक नहीं लगाने के कारण वाहनों की आवाजाही अधिक प्रभावित हो रही है। नियमानुसार धूल उडऩे को रोकने के लिए नियमित पानी का छिडक़ाव किया जाएगा लेकिन हकीकत में यह भी खर्च नहीं हो रहा है।