वर्ष 2012 में थर्मल कर्मचारियों को शीघ्र चिकित्सा सहायता एवम ग्रामीणों को आवागमन में होने वाली परेशानी को ध्यान में रखते हुए थर्मल प्रशासन द्वारा स्वीकृत ओवर ब्रिज का आख़िर शनिवार को राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के परियोजना निदेशक पी एस आर्य द्वारा भूमि पूजन करने के बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया है।
-ऐसा बनेगा ओवरब्रिज अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता निर्माण एम के वर्मा ने बताया कि निर्माण स्वीकृति मिलने के बाद अभियंताओं ने इस ओवर ब्रिज का खाका तैयार किया गया है। जिसके अनुसार करीब 500 मीटर लम्बाई वाले टू लेन के इस ओवर ब्रिज का 160 मीटर भाग राष्ट्रीय राजमार्ग की तरफ व 355 मीटर भाग रायांवाली मार्ग मार्ग पर होगा।
वहीं ब्रिज 10.5 मीटर चौड़ी सड़क के अलावा दोनों तरफ डेढ़- डेढ़ मीटर चौड़ी फुटपाथ होगी। करीब आठ करोड़ लागत से बनने वाले ओवर ब्रिज के दोनों भागो का निर्माण 10 माह में पूरा कर दिया जाएगा। करीब 100 टन वजनी वाहनों की क्षमता वाले इस आर ओ बी की रेलवे लाइन से ऊंचाई सात मीटर होगी। रेल लाइन के ऊपर वाले ब्रिज के हिस्से के निर्माण रेलवे द्वारा करवाया जा रहा है।
-तीन दर्जन गाड़ियों का होता है आवागमन इस रेलवे क्रॉसिंग से थर्मल को कोयला देने वाली 6 से 7 गाड़ियों के साथ-साथ 3 दर्जन यात्री एवम माल गाड़िया गुजरती है। वहीं सुपर क्रिटिकल इकाइयों से उत्पादन शुरू होने से कोयले की गाड़ियों में और बढ़ोतरी हो गई है। ऐसे में इस रेलवे क्रॉसिंग पर ओवर ब्रिज की दरकार थी।
इस अवसर पर मुख्य अभियंता निर्माण बीपी नागर, के एल मीणा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता एम के वर्मा, जीसी जैन, केसर सिंह, एस सी सहारण, उप मुख्य अभियंता एस पी बंसल सहित निर्माण कम्पनी के आस्तिक दुबे आदि उपस्थित थे ।
-हादसे पड़ते थे भारी अत्यधिक दुर्घटना सम्भावित सूरतगढ़ थर्मल, सहित सुपर क्रिटिकल इकाइयों व टिब्बा क्षेत्र के डेढ़ दर्जन गांवों को जाने वाली इस सड़क से रोजाना सैकड़ों यात्री एवम मालवाहक वाहन गुजरते है। ऐसे में किसी दुर्घटना के होने पर बन्द फाटक के कारण घायल अथवा रोगी को समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिलती जिसके कारण विगत वर्षो में कई जाने जा चुकी है। हालांकि रायांवाली से 235 आरडी जाने वाली सड़क पर अंडर पास बनाया गया है, लेकिन अंडर पास से राष्ट्रीय राजमार्ग को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण नहीं होने व संकरी रोड के कारण आवागमन में परेशानी रहती है।
बन्द फाटक के कारण दुर्घटना में घायल व मरीजों को सूरतगढ़ ले जाते समय एम्बुलेंस आदि फाटक पर खड़ी रहती है। वहीं पूर्व में भी परियोजना के एक ठेकेदार को हृदयघात आने पर आधा घण्टा तक फाटक बन्द होने के कारण उक्त ठेकेदार की मौत पिपेरण के समीप पहुंचते ही हो गई थी।
इतना ही नही तापीय परियोजना का दौरा करने आने वाले वी आई पी व उच्चाधिकारी भी बन्द फाटक के कारण घण्टो अटके रहते है।