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कोरोना इफेक्ट..बच्चों को पढ़ाई व होमवर्क की चिंता,घर पर बढ़ा महिलओं का कामकोरोना इफेक्ट..बच्चों को पढ़ाई व होमवर्क की चिंता,घर पर बढ़ा महिलओं का काम

locationश्री गंगानगरPublished: Apr 01, 2020 09:30:02 am

Submitted by:

Krishan chauhan

-लॉकडाउन की वजह से छोटे बच्चे घर पर रह कर अगली कक्षा की तैयारी में लगे

कोरोना इफेक्ट..बच्चों को पढ़ाई व होमवर्क की चिंता,घर पर बढ़ा महिलओं का कामकोरोना इफेक्ट..बच्चों को पढ़ाई व होमवर्क की चिंता,घर पर बढ़ा महिलओं का काम

कोरोना इफेक्ट..बच्चों को पढ़ाई व होमवर्क की चिंता,घर पर बढ़ा महिलओं का कामकोरोना इफेक्ट..बच्चों को पढ़ाई व होमवर्क की चिंता,घर पर बढ़ा महिलओं का काम

कोरोना इफेक्ट..बच्चों को पढ़ाई व होमवर्क की चिंता,घर पर बढ़ा महिलओं का काम

-लॉकडाउन की वजह से छोटे बच्चे घर पर रह कर अगली कक्षा की तैयारी में लगे
श्रीगंगानगर. कोराना वायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए किए गए कि गए लॉकडाउन की वजह से बच्चों को पढ़ाई की चिंता सता रही है। सीबीएसई और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अलावा अन्य बोर्ड की परीक्षाएं स्थगित हो चुकी है। इस कारण परिजन अब नए सिरे से बच्चों की पढ़ाई की समय सारिणी बना रहे हैं। वहीं, छोटे बच्चे भी अगली कक्षा में जाने के लिए घर पर ही रहकर तैयारी कर रहे हैं। वहीं, कुछ निजी स्कूल संचालकों ने विद्यार्थियों को छुट्टियों का होम वर्क भी ऑनलाइन भिजवा दिया है। अब बच्चों की माता व पिता बच्चों को होम वर्क करवा रहे हैं।
वहीं,महिलाओं का घर पर काम भी बढ़ गया है। पहले घर का काम और उसके बाद बच्चों को होमवर्क और रिवीजन करवाना सब महिलाओं के ही जिम्मे है। महिलाओं ने बातचीत में स्वीकार किया कि उनका अब तीन से चार घंटे अतिरिक्त काम करना पड़ रहा है। सुबह नाश्ता,फिर खाना और दोपहर में बच्चों के लिए कुछ बनाना होता है। शाम होते ही फिर से खाने की चिंता शुरू हो जाती है।
घर के काम में हुआ इजाफा
न्यू प्रेम नगर निवासी सोनिया यादव कहती हैं कि बच्चे स्कूल नहीं जा रहे और पंजाब की सीमा सील कर दी है। इस कारण पति विजय यादव बागवानी व कृषि जिन्सों की कटाई-व कढ़ाई तक नहीं रकवा पा रहे हैं। काम वाली बाई आ नहीं रही है। ऐसे में सभी सदस्य दिन भर घर पर ही रहते हैं तो काम बढ़ गया। लॉकडाउन से पहले दिन में आराम करने का समय मिल जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। पुरानी आबादी निवासी हंसा खींची कहती हैं कि बच्चों की पढ़ाई की चिंता रहती है।
…ताकि बच्चे कुछ भूलें ना
शहर की पुरानी आबादी निवासी दुर्गा आनंद ने बताया कि शुरुआत के पांच सात दिन तक तो उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया,लेकिन अब वे अपनी बच्चों को नियमित रूप से दो घंटे पढ़ा रही हूं। कुछ ऐसा ही कुछ हाल वास्तु नगर निवासी बबीता झा का भी है। उनका बेटा और बेटी की पढ़ाई करवा रही है। छुट्टियों की वजह से उसका पढ़ाई में व्यवधान न पड़े। इसके लिए वे रोज दो घंटे पढ़ाती हैं। क्लास टीचर को होमवर्क भी नियमित रूप से भेजती हैं।

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