जिले में टीबी रोकथाम के लिए चलाए जाने वाले अभियान में हर साल टारगेट से भी अधिक मरीज चिह्नित किए जा रहे थे लेकिन कोरोना के बाद से मरीजों की संख्या कमी आती गई। दो साल में मरीजों की संख्या काफी कम हो गई, जो टारगेट के नजदीक भी नहीं पहुंच पा रही है। चिकित्सकों की माने तो यह सब कोरोना वायरस से बचाव के लिए किए गए उपायों के कारण संभव हो पाया है। ऐसा बदलाव बीसों सालों में अब देखने को मिला है।
टीबी हॉस्पिटल के आंकड़ों को देखा जाए तो मरीजों की संख्या काफी कम हो गई है। जहां पहले टारगेट सौ मरीज चिह्नित करने का मिलता था तो मरीज 140 चिह्नित होते थे। जिससे जिला पहले नंबर पर था लेकिन कोरोना काल व बाद में चिह्नित करने के टारगेट ही पूरे नहीं हो रहे हैं।
मास्क- चिकित्सकों का कहना है कि टीबी के मरीज का वायरस खांसी व सांस के साथ एक से दूसरे व्यक्ति में चला जाता है। इससे यह बीमारी एक से दूसरे में फैलती है। लेकिन कोरोना काल में मास्क की अनिवार्यता के चलते टीबी के वायरस का फैलाव नहीं हो पाया है। जिससे मरीज के परिवार व रिश्तेदार या संपर्क में आने वाले लोगों का बचाव हुआ है और फैलाव कम हुआ है।
साफ-सफाई- मास्क के साथ ही लोगों की ओर से साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया। जिसमें हाथों को साबुन या सैनेटाइजर से साफ करने से वायरस नहीं रह पाते हैं। इससे यह फायदा हुआ कि कोरोना के साथ ही अन्य बीमारियों के वायरस से भी मुक्ति मिली है। इसके चलते टीबी के वायरस के फैलाव में भी असर आया है। जो समाज के लिए बहुत अच्छी बात है।
जिले में टारगेट व चिह्नित टीबी मरीजों की स्थिति
वर्ष जनसंख्या टारगेट मरीज प्रतिशत
2021 2329777 4200 2187 54.00
2020 2259428 4000 3181 81.31
2019 2259428 2589 3748 148.63
ेइनका कहना है
– कोरोना के बाद बीमारियों से बचाव को लेकर आई जागरुकता के कारण टीबी के मरीजों में कमी आई है। जिसमें मास्क व सैनेटाइजर तथा साफ-सफाई के प्रति लोगों की सतर्कता से असर आया है। दो सालों में जिले में टीबी के मरीज मिलना कम हो गए हैं। जो समाज के लिए बहुत की अच्छा है। मास्क से कई बीमारियों से बचाव हुआ है।
डॉ. गुंजन खुंगर, प्रभारी टीबी हॉस्पिटल श्रीगंगानगर