दूसरों के ‘कल्याणÓ की भावना पैदा करना भी शिक्षा का लक्ष्य
श्री गंगानगरPublished: Jan 08, 2020 12:35:47 am
श्रीकरणपुर. बच्चों के भीतर विचार और कर्म की स्वतंत्रता विकसित करना, दूसरों के कल्याण और उनकी भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना और बच्चों को नई परिस्थितियों के प्रति लचीले और मौलिक ढंग से पेश आने में मदद करना भी शिक्षा के लक्ष्य हैं।
दूसरों के ‘कल्याणÓ की भावना पैदा करना भी शिक्षा का लक्ष्य
श्रीकरणपुर. बच्चों के भीतर विचार और कर्म की स्वतंत्रता विकसित करना, दूसरों के कल्याण और उनकी भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना और बच्चों को नई परिस्थितियों के प्रति लचीले और मौलिक ढंग से पेश आने में मदद करना भी शिक्षा के लक्ष्य हैं। ज्ञान ज्योति उप्राविद्यालय में जारी एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम (निष्ठा) के समापन अवसर पर मंगलवार को यही बात शिक्षकों को एक अंग्रेजी फिल्म ‘ऐट बिलोÓ के माध्यम से बताई गई।
संदर्भ व्यक्ति नरेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2005 के मुताबिक शिक्षा के व्यापक लक्ष्य हैं। शिक्षा ऐसी होना चाहिए जिससे बच्चों के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने, मौलिक अभिव्यक्ति की प्रवृत्ति तथा सौन्दर्यबोध की समझ विकसित हो। वहीं, आर्थिक प्रक्रियाओं व सामाजिक बदलाव की ओर कार्य करने व उसमें योगदान देने की क्षमता विकसित करना भी शिक्षा का ही उद्देश्य है। संदर्भ व्यक्ति मनोज गंगवानी ने खेल खेल में शिक्षण विषय पर विचार रखे। कार्यवाहक शिविर प्रभारी सुखेदव सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण के चौथे चरण में ब्लॉक के 164 शिक्षकों ने प्रशिक्षण लिया। शिविर सहयोगी प्रधानाध्यापक राजकुमार नागपाल, बृजमोहन, मोहन सिंह, नरेन्द्र कुमार आदि ने व्यवस्थाओं में सहयोग किया। एसएलआरपी प्रधानाचार्य संतोष लाल, प्रशिक्षक रामप्रकाश मौर्य, सुबेग सिंह, नरेश कुमार व विकास चिंदा ने प्रशिक्षण दिया।