नगर परिषद प्रशासन से बिना अनुमति से लग रहे इन होर्डिग्स को हटाने तो दूर बदलना तक उचित नहीं समझा। यही वजह है कि जिस छुटभैया के मन में आया वहां होर्डिग्स टांग दिया है। यहां तक कि स्वायत्त शासन विभाग ने होर्डिग्स का ठेका करने के लिए फाइल भी आयुक्त के पास वापस भिजवा दी है लेकिन आयुक्त अशोक असीजा ने सख्त कदम उठाने की बजाय चंद ठेकेदारों को ऊंचती शुल्क जमा करवाकर होर्डिग्स लगाने की अनुमति दे दी है।
इन चंद ठेकेदारों ने मोटी कमाई करने के लिए जानबूझकर खुली निविदा बुलाने से इनकार करवा दिया है। लोहड़ी, मकर संक्राति, गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देने के लिए इन होर्डिग्स और बैनर के जरिए पूरे शहर को बदरंग कर दिया है। यहां तक कि यूआईटी क्षेत्र में भी होर्डिग्स लगाने वालोंने कसर नहीं छोड़ी है।
नगर परिषद के खंजाने में पिछले साल खुली निविदा पर होर्डिग्स साइट का ठेका दिया गया था। सेंचुरियन कंपनी ने एक करोड़ 78 लाख रुपए में यह ठेका उठाव किया था। तब नगर परिषद को हर माह 14 लाख 83 हजार रुपए राजस्व मिलने लगा। लेकिन अब यह सिर्फ अधिकतम दो लाख रुपए का राजस्व मिलने लगा है।
इसके पीछे इस बार होर्डिग्स साइट का ठेका जानबूझकर रोक लिया गया है। चंद ठेकेदारों ने पूल बनाकर होर्डिग्स साइट को सात दिन से दस दिवस के लिए किराये पर लेकर यह प्रक्रिया बार बार रोकने लगे है। ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान नगर परिषद के खंजाने पर पड़ा है। इस संबंध में पार्षदों ने भी चुप्पी साध ली है।
जिस ठेका फर्म सेंचुरियन कंपनी ने नगर परिषद से होर्डिस साइट का ठेका लिया था, उससे करीब 96 लाख रुपए मूल राशि और बाकी ब्याज समेत एक करोड़ रुपए से अधिक का बकाया चल रहा है। इस फर्म की ओर से की गई आपत्ति को डीएलबी ने सुनवाई के बाद फाइल को नगर परिषद को 27 दिसम्बर को भिजवा दिया था। लेकिन पिछले दो सप्ताह से आयुक्त ने बकाया वसूली के लिए अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
यहां तक कि होर्डिग्स साइट की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रभारी का तब्दील कर दिया गया है। अब होर्डिग्स साइट शाखा का प्रभारी राजस्व अधिकारी जुबेर खान को अधिकृत किया है। लेकिन बकाया वसूली के लिए आयुक्त के आदेश जारी होते है लेकिन राजनीतिक दखलदांजी इस कदर हावी हो गई है कि अब तो आयुक्त भी इस आदेश को जारी करने से कतराने लगे है।
नगर परिषद के उपसभापति अजय दावड़ा की शिकायत पर सुखाडिय़ा सर्किल पर स्थित सुखाडिय़ा पार्क के बाहर आठ साइटों को एक करके अवैध रूप से बनाई गई बड़ी साइट को हटाने की बजाय नगर परिषद प्रशासन ने चुप्पी साध ली है। इस साइट की जांच टीम ने अवैध और गलत तरीके से वहां विज्ञापन पट्ट लगाने पर एतराज किया था। जांच टीम ने यहां तक कि टिप्पणी की थी कि इस साइट के गिरने की आंशका है।
यह साइट व्यस्तम रहने वाले ट्रैफिक पर गिरने के दौरान बड़ा हादसा या बड़ी घटना का रूप ले सकती है। लेकिन इस जांच टीम की रिपोर्ट को अनदेखा कर पिछले चार महीने से हटाने की बजाय ठेकेदारों को विज्ञापन लगाने के लिए किराये पर देने से नगर परिषद पीछे नहीं रही है।