scriptSriGanganagarअफसरों की चुप्पी से भूखंडों की खेती | Cultivation of plots due to silence of officers | Patrika News

SriGanganagarअफसरों की चुप्पी से भूखंडों की खेती

locationश्री गंगानगरPublished: Jul 30, 2022 01:19:37 pm

Submitted by:

surender ojha

Cultivation of plots due to silence of officers- श्रीगंगानगर में सख्ती की बजाय ढील, मालामाल हुए कॉलोनाइजर

SriGanganagarअफसरों की चुप्पी से भूखंडों की खेती

SriGanganagarअफसरों की चुप्पी से भूखंडों की खेती

श्रीगंगानगर. इलाके के पैराफेरी क्षेत्रों में कृषि भूमि पर प्राइवेट कॉलोनियों के काटने की हौड़ मची हुई है। जिम्मेदार अफसरों ने इसकी ऐसी अनदेखी करी है कि इसका प्रत्यक्ष फायदा कॉलोनाइजरों ने उठाया है। पैराफेरी क्षेत्रों में मनमाने तरीके से बस रही इन कॉलोनियों को लेकर पिछले महीने संबंधित हल्का पटवारियों से सर्वे कर रिपोर्ट मांगी तो बीस से अधिक खातेदारों की भूमि पर गैर कृषि कार्य होने की रिपोर्ट आई। उपखंड अधिकारी कार्यालय के समक्ष आए इन प्रकरणों में चक 2 एमएल, 17 एमएल, चक 5 ई छोटी, 17 एमएल, 3 एमएल, एक एचएच, 6 एचएच, 8 जैड, 11 एलएनपी की कृषि भूमि पर बनी कॉलोनियां शामिल है। अकेले चक एक एचएच में छह गैर कृषि कार्यो के प्रकरण हैं। एसडीएम कोर्ट में पिछले साल अस्सी प्रकरण दर्ज कराए जा चुके हैं। पटवारियों की रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार और नायब तहसीलदार की ओर से पिछले डेढ साल की समय अवधि में एक सौ प्रकरण एसडीएम कोर्ट में आ चुके है। संबंधित कृषि भूमि के खातेदारों के खिलाफ इन प्रकरणों को विचाराधीन रखा गया है।
पिछले महीने उपखंड अधिकारी मनोज मीणा ने तहसील प्रशासन के माध्यम से क्षेत्र के सभी पटवारियों से कृषि भूमि पर विकसित हो रही कॉलोनियों का सर्वे कर रिपोर्ट मांगी। उसके बाद राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1956 की धारा 177 के तहत तहसीलदार की ओर से उपखंड कार्यालय में वाद एवं स्थगन प्रार्थना पत्र दायर किए गए हैं।
इस बीच, कृषि भूमि को अकृषि कार्यों में उपयोग की रिपोर्ट जब तक जिला प्रशासन के पास आई तब तक कई कॉलोनियां विकसित हो चुकी थी। जिला प्रशासन की इस कार्रवाई से कृषि भूमि पर विकसित कॉलोनियां में बिक रहे भूखंडों के दामों में कमी आई है। इस तरह के भूखंडों के पंजीयन पर विराम लग गया है। इलाके के अलग-अलग क्षेत्रों में कृषि भूमि पर कॉलोनियां विकसित करने का कारोबार पिछले दो साल में तेजी से बढा है। नए कॉलोनियां विकसित कर भूखंड बेचने में अच्छी आय होने से यह कारोबार दिनों-दिन फल फूल रहा है। जिस गति से कॉलोनियां विकसित हो रही हैं। उसके अनुरूप यूआईटी में कॉलोनियां के लेआउट स्वीकृत नहीं हो पा रहे हैं। इसके चलते खरीदारों को परेशानी हो रही है। हालांकि कई कॉलोनाइजरों ने जयपुर से एप्रोच करवाकर ले आउट पास करवाया है।
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