गंगनहर टूटने से न केवल पंजाब, बल्कि गंगानगर जिले के किसानों को भी भारी नुकसान होने की आशंका है। गंगानगर में गंगनहर के अधिकारियों को दोपहर करीब चार बजे नहर टूटने का पता चला, जब राजस्थान-पंजाब सीमा पर स्थित खखां हैड पर पानी कम होना शुरू हुआ। इसके बाद यहां से कार्यवाहक अधीक्षण अभियन्ता प्रदीप रूस्तगी एवं अन्य अधिकारी कटाव स्थल के लिए रवाना हुए।
रूस्तगी ने बताया कि मरम्मत कार्य शुरू करा दिया गया है। मौके पर जेसीबी और एसक्वेटर मशीनें लगाई जा रही हैं। पंजाब नहरी महकमे के अधिशाषी अभियन्ता एवं सहायक अभियन्ता और अन्य अधिकारी आ गए हैं। इनकी मदद से पंजाब के मजदूरों को लगाया जा रहा है। स्थानीय सरपंच भी मदद कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि करीब 70 फुट का कटाव आने के बावजूद पीछे आरडी-45 के बल्लांवाला हैड से पानी की मात्रा को कम नहीं करवाया गया है, बल्कि सेम नाले के गेट खुलवा दिए गए हैं, ताकि पानी एस्केप में जा सके। उन्होंने बताया कि नहर टूटने की जांच बाद में की जाएगी। पहली प्राथमिकता इसकी मरम्मत कराने की है।
वहीं मौके पर पहुंचे गंगानगर किसान समिति के संयोजक रणजीत सिंह राजू, विक्रमजीत सिंह, निशान सिंह और लखविन्द्र सिंह ने हालात का जायजा लेने के बाद देर रात रुस्तगी के दावे को गलत बताते हुए कहा कि अभी तक यहां किसी भी तरह का मरम्मत कार्य आरम्भ नहीं हुआ है।सिर्फ एक केंटर आया है, जिसमें मिट्टी से भरे हुए थैले लदे हैं।
उन्होंने इस कटाव के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारियों को जिम्मेवार ठहराया। इस बीच किसान समिति प्रवक्ता संतवीर सिंह ने रोष जताते हुए कहा कि पिछले दो महीनों से समिति सिंचाई अधिकारियों को बार-बार आगाह कर रही थी कि पंजाब में गंगनहर के दोनों किनारों के साथ-साथ वहां के किसानों द्वारा पानी चोरी करने के लिए खुदवाये जा रहे बोरिंग बंद कराये जायें, अन्यथा यह नहर टूट जाएगी। प्रवक्ता संतवीर सिंह के मुताबिक जिस जगह नहर टूटी है, वहां पास में ही दो-तीन दिन से दो बोरिंग खुदवाने का काम चल रहा था।